राज ठाकरे 13 साल बाद मातोश्री पहुंचे, शिवसेना रिश्तों की बर्फ पिघली

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 27 जुलाई: महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे बंधुओं की दूरी अब धीरे-धीरे मिटती दिखाई दे रही है। रविवार को ये बात फिर पुष्ट हुई, जब राज ठाकरे, मनसे प्रमुख, शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को जन्मदिन की बधाई देने मातोश्री पहुंचे। यह उनकी मातोश्री की यात्रा करीब 13 वर्षों के बाद की पहली मुलाकात थी।

पुनर्मिलन की वजह

राज ठाकरे आखिरी बार वर्ष 2012 में मातोश्री गए थे, तब उद्धव ठाकरे की एंजियोप्लास्टी हुई थी। उस समय राज ठाकरे मिलने पहुंचे थे। उसके बाद से उन्होंने कभी मातोश्री का दौरा नहीं किया था, क्योंकि 2005 में शिवसेना से अलग होने के बाद दोनों नेताओं के संबंध ख़राब थे।

राजनीतिक मायने

राज ठाकरे का मातोश्री आना सिर्फ पारिवारिक सौहार्द नहीं, बल्कि राजनीतिक संकेतों की भी गहरी अभिव्यक्ति माना जा रहा है। इस मुलाकात को महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में “ठाकरे बंधुओं की दूरी घटने” की शुरुआत समझा जा रहा है।

दोनों नेताओं की प्रतिक्रिया

रविवार को दोनों भाइयों की मुलाकात साभारपूर्ण, सौहार्दपूर्ण और शांतिपूर्ण माहौल में हुई। राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को दिल से बधाई दी और स्वास्थ्य एवं खुशहाली की शुभकामनाएं दीं। उद्धव ठाकरे ने भी अपनी नियत सकारात्मक जताई।

हालांकि अभी कोई आधिकारिक गठबंधन या राजनीतिक कदम सामने नहीं आया है, फिर भी इस मुलाकात को यह संकेत माना जा रहा है कि राजनीतिक दूरी अब कम होती दिख रही है

विश्लेषक क्या कह रहे हैं

राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात को केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि राजनीति की रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों ही महाराष्ट्र की राजनीति में अपने-अपने क्षेत्र में प्रभाव रखते हैं। इस नए मिलन से स्थानीय राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना बन सकती है, खासकर मुंबई और महाराष्ट्र संसदीय क्षेत्र में।

क्यों बनी चर्चा?

  • राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ने के बाद मातोश्री का रुख बंद कर दिया था
  • 2012 के बाद यह पहली मुलाकात थी।
  • इसे भाईचारा पुष्टिकरण और राजनीतिक संकेत दोनों माना जा रहा है।
  • स्थानीय राजनीति में संभावित गठबंधन या सहयोग की बातें शुरू हो सकती हैं।

राज ठाकरे का यह कदम पारिवारिक सम्मान और पुराने रिश्तों को दोबारा जीवित करने का प्रतीक है, लेकिन उसकी राजनीतिक किंतु असर गहरी है। शिवसेना और मनसे के बीच पुरानी कलह, राजनीति में नए समीकरणों की तलाश और संभावित गठबंधन को लेकर चर्चा फिर शुरू हो जाएगी।

यह कदम दर्शाता है कि औपचारिक दूरी के बावजूद व्यक्तिगत रिश्तों की गर्माहट अब लौट रही है। भविष्य में यह मुलाकात दोनों दलों के अधिक पारस्परिक संवाद और संवाद नीति की दिशा में उत्प्रेरक हो सकती है।

राज ठाकरे का मातोश्री पहुंचना सिर्फ जन्मदिन की बधाई नहीं — महाराष्ट्र की स्थानीय राजनीति में बहुपक्षीय सामंजस्य की शुरुआत है। चाहे अब कोई औपचारिक नीतिगत बदलाव न हुआ हो, पर इस मुलाकात ने संकेत दे दिए हैं कि दोनों पक्षों के बीच रिश्तों में अब कड़वाहट की जगह शांत सामंजस्य की भावना बढ़ रही है।

 

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