समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 अगस्त: भारत के राष्ट्रपति ने भारत के प्रधान न्यायाधीश से परामर्श के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में पांच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की है। देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट में लंबे समय से रिक्त पदों की भरपाई के उद्देश्य से की गई ये नियुक्तियां न्यायिक प्रणाली को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं।
नए नियुक्त न्यायाधीश निम्नलिखित हैं:
- प्रमोद कुमार श्रीवास्तव
- अब्दुल शाहिद
- संतोष राय
- तेज प्रताप तिवारी
- ज़फीर अहमद
ये सभी न्यायिक अधिकारी उप-न्यायपालिका (subordinate judiciary) से पदोन्नत होकर उच्च न्यायालय का हिस्सा बने हैं। उनकी नियुक्ति उसी दिन से प्रभावी मानी जाएगी जिस दिन वे अपने-अपने पदों का कार्यभार ग्रहण करेंगे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 160 है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह संख्या काफी कम होकर काम कर रही थी। इससे न केवल मुकदमों का बैकलॉग बढ़ा है, बल्कि न्याय प्रक्रिया में भी देरी हो रही थी। इन पांच नई नियुक्तियों से उम्मीद की जा रही है कि लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी आएगी और आम जनता को समय पर न्याय मिल सकेगा।
न्यायपालिका से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इनमें से तीन नामों की सिफारिश जुलाई 2025 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की थी, जबकि बाकी दो नामों की सिफारिश अप्रैल में की गई थी। उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए यही प्रक्रिया प्रचलित है, जिसमें अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों को उनके अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नति दी जाती है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट न केवल उत्तर प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रमुख न्यायिक संस्थान है। यहां के निर्णय अक्सर राष्ट्रीय महत्व के मामलों में मिसाल बनते हैं। ऐसे में नए न्यायाधीशों की नियुक्ति संस्थान की क्षमता और विश्वसनीयता दोनों को मजबूती प्रदान करेगी।
न्यायिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसी तरह समय पर नियुक्तियाँ होती रहीं, तो न्यायपालिका में लोगों का भरोसा और भी गहरा होगा। यह कदम प्रधानमंत्री के ‘न्याय सबके लिए’ के विजन की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।
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