संसद में विपक्ष का हंगामा जारी, बिहार SIR विवाद पर लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही बाधित

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 अगस्त:
संसद का मानसून सत्र शुक्रवार को भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्षी दलों के लगातार विरोध और नारेबाजी के चलते लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। इस बार विवाद की जड़ है बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का मुद्दा, जिस पर विपक्ष चर्चा की मांग कर रहा है।

सुबह से गरमाया माहौल
दिन की शुरुआत से ही संसद परिसर में विपक्षी सांसदों का प्रदर्शन जारी रहा। कांग्रेस, राजद, वामपंथी दल और अन्य विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने SIR को लेकर सरकार पर मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाए। विपक्ष का कहना है कि SIR के बहाने मतदाताओं के अधिकारों से खिलवाड़ किया जा रहा है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसदों ने भी अलग-अलग मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया, जिससे माहौल और गरमा गया।

श्रद्धांजलि के बाद शुरू हुआ हंगामा
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष ओम बिरला ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन की सूचना सदन को दी। सदन में मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की 83वीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने महात्मा गांधी और स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों को नमन किया।

लेकिन जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, विपक्षी सांसद आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। वे SIR और चुनाव सुधार पर तत्काल चर्चा की मांग कर रहे थे। सरकार की ओर से इस मांग को खारिज किए जाने पर हंगामा और तेज हो गया।

सरकार के रुख पर विपक्ष का गुस्सा
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि सरकार SIR के मुद्दे को दबाना चाहती है, जबकि यह चुनावी पारदर्शिता से जुड़ा अहम विषय है। राजद के एक सांसद ने कहा, “यदि सरकार के पास छिपाने को कुछ नहीं है, तो उसे सदन में इस मुद्दे पर खुली बहस से डरना क्यों है?”

हंगामे के बीच चली कार्यवाही
हंगामे के बावजूद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा और स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कुछ पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए। हालांकि विपक्षी शोर-शराबे के चलते अधिकांश सांसद बहस की बात सुन नहीं पाए।

राज्यसभा में भी वही नज़ारा
राज्यसभा में भी स्थिति कुछ अलग नहीं रही। यहां भी विपक्षी सांसदों ने SIR और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी की। अंततः सभापति को सदन स्थगित करना पड़ा।

आगे का रास्ता टेढ़ा
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि SIR विवाद पर जल्द सहमति नहीं बनी, तो मानसून सत्र के बाकी दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ सकते हैं। विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी पारदर्शिता से जोड़कर जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रहा है, जबकि सरकार इसे राज्यों का विषय बताकर टालने की कोशिश में है।

संसद में जारी इस गतिरोध ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या राजनीतिक दल जनता के मुद्दों पर गंभीर चर्चा के लिए तैयार हैं, या फिर सत्र केवल नारेबाजी और राजनीतिक प्रदर्शन का मंच बनकर रह गया है।

 

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.