समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 अगस्त: भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद और द्विपक्षीय रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिशों के बीच, चीन के विदेश मंत्री अगले सप्ताह भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर तनाव और संवाद साथ-साथ चल रहे हैं।
एनएसए अजीत डोभाल से होगी अहम मुलाकात
सूत्रों के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात, सीमा प्रबंधन, और सुरक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है।
इसके अलावा, दोनों पक्ष आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने पर भी विचार कर सकते हैं।
विदेश मंत्रालय की तैयारी
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को “सकारात्मक कूटनीतिक अवसर” बताया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा—
“हम उम्मीद करते हैं कि यह यात्रा भारत-चीन के बीच संचार और विश्वास को मजबूत करेगी, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम कर सकते हैं।”
सीमा विवाद पर भी चर्चा संभावित
हाल के वर्षों में गलवान घाटी और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में हुई घटनाओं ने दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ाया है। हालांकि कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बैठकों के बाद कुछ प्रगति हुई है, लेकिन LAC पर पूर्ण शांति और स्थिरता अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि डोभाल और चीनी विदेश मंत्री की मुलाकात इस दिशा में ठोस कदम हो सकती है।
आर्थिक रिश्ते और व्यापार
भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हैं, लेकिन सुरक्षा और रणनीतिक चिंताओं ने हाल के वर्षों में सहयोग की गति को प्रभावित किया है।
दोनों देशों के बीच 2024 में द्विपक्षीय व्यापार 110 अरब डॉलर से अधिक रहा, जिसमें भारत का व्यापार घाटा एक अहम चिंता का विषय है। उम्मीद है कि यह यात्रा आर्थिक साझेदारी में संतुलन लाने पर भी केंद्रित होगी।
क्षेत्रीय मुद्दों पर भी नजर
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग की रणनीति भी चर्चा का हिस्सा हो सकती है।
दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि एशिया की स्थिरता और विकास के लिए आपसी सहयोग बेहद जरूरी है
विशेषज्ञों की राय
विदेश मामलों के जानकार मानते हैं कि यह दौरा रिश्तों में “नया मोड़” ला सकता है, बशर्ते कि दोनों पक्ष ईमानदारी से सीमा और सुरक्षा मुद्दों पर प्रगति करें।
राजनयिक सूत्रों का कहना है कि डोभाल और चीनी विदेश मंत्री के बीच होने वाली यह बैठक आगे की वार्ताओं के लिए टोन सेट करेगी।
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