समग्र समाचार सेवा
काठमांडू/पटना, 18 अगस्त: भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक रिश्तों को नई मजबूती देने के उद्देश्य से भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री का हालिया नेपाल दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह यात्रा नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय के निमंत्रण पर आयोजित हुई।
मिस्री ने यात्रा की शुरुआत नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से औपचारिक मुलाकात से की। इस बैठक में ओली के मुख्य सलाहकार विष्णु प्रसाद रिमाल, नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव और नेपाली विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। मिस्री की मुलाकात नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, विदेश मंत्री अरजू राणा देउबा और पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा व पुष्प कमल दाहल ‘प्रचंड’ से भी हुई। चर्चाओं का केंद्र व्यापार, ऊर्जा सहयोग, कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय विकास रहा।
कूटनीतिक तैयारी और संभावित भारत यात्रा
कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, यह दौरा नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा की तैयारी का हिस्सा है। अनुमान है कि ओली सितंबर के मध्य में नई दिल्ली का दौरा कर सकते हैं। इसके अलावा, बोधगया (बिहार) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओली की मुलाकात की भी योजना है। बोधगया का आध्यात्मिक महत्व भारत-नेपाल की सांस्कृतिक साझेदारी को और गहरा बना सकता है।
भारत-नेपाल रिश्तों की गहराई
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा को “उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा” का हिस्सा बताते हुए कहा कि भारत की ‘Neighbourhood First’ नीति में नेपाल को विशेष प्राथमिकता है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने भी यह स्पष्ट किया कि बातचीत का फोकस ऊर्जा, संपर्क और विकास सहयोग पर रहा।
चुनौतियाँ और रणनीतिक समीकरण
हालांकि भारत-नेपाल रिश्ते ऐतिहासिक रूप से गहरे रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में सीमा विवाद और राजनीतिक अस्थिरता ने तनाव पैदा किया है। इस बीच, चीन नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
विदेश सचिव का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब नेपाल में राजनीतिक अनिश्चितता है और चीन सड़क, ऊर्जा और व्यापारिक समझौतों के जरिए अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजनाएँ भारत के लिए रणनीतिक चुनौती हैं।
पाकिस्तान की भूमिका और सुरक्षा चिंताएँ
नेपाल में चीन की सक्रियता के साथ-साथ पाकिस्तान की गुप्त गतिविधियाँ भी भारत के लिए चिंता का विषय हैं। पाकिस्तान समय-समय पर नेपाल की धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए करता रहा है। ऐसे में मिस्री की यात्रा नेपाल को विश्वास में लेकर सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का भी संकेत है।
नए विश्वास का सेतु
विशेषज्ञों का मानना है कि विक्रम मिस्री की यह यात्रा केवल औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत-नेपाल संबंधों में नए विश्वास और संतुलन की नींव रखती है। अगर प्रधानमंत्री ओली की आगामी भारत यात्रा सकारात्मक माहौल में होती है, तो यह दक्षिण एशिया की स्थिरता और विकास में नई ऊर्जा ला सकती है।
विक्रम मिस्री का नेपाल दौरा भारत-नेपाल रिश्तों में विश्वास बहाली और रणनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाने की दिशा में अहम कदम है। पाकिस्तान और चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह यात्रा भारत का यह संदेश भी देती है कि नेपाल उसका सबसे करीबी मित्र और साझेदार है। आने वाले समय में यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है।
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