शिवकुमार ने विधानसभा में गाया RSS गीत, बाद में माँगी माफी

समग्र समाचार सेवा 
बेंगलुरु, 26 अगस्त – कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के “ट्रबल-शूटर” कहे जाने वाले डी.के. शिवकुमार एक बार फिर राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गए हैं। विधानसभा के मौजूदा मानसून सत्र में उन्होंने अनजाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की प्रार्थना गीत “नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे” की एक पंक्ति गुनगुना दी।

घटना कैसे हुई?

22 अगस्त 2025 को जब बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में 4 जून को RCB की IPL जीत के दौरान हुए भगदड़ की घटना पर विधानसभा में जोरदार बहस चल रही थी, तब भाजपा कांग्रेस सरकार से जवाब मांग रही थी। उसी दौरान अचानक शिवकुमार ने RSS की प्रार्थना गीत की एक पंक्ति बोल दी। उनका कहना था कि यह सब उन्होंने सिर्फ भाजपा को “खींचने” के लिए किया था।

लेकिन यह मज़ाकिया अंदाज़ उनकी राजनीतिक मुश्किल बन गया। विपक्ष ही नहीं, उनकी अपनी पार्टी के भीतर भी इसे लेकर तूफ़ान खड़ा हो गया।

माफी जिसने सबको चौंकाया

भाजपा और कांग्रेस दोनों के निशाने पर आने के बाद शिवकुमार को 26 अगस्त को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा:

“यदि कांग्रेस या I.N.D.I. गठबंधन का कोई भी साथी आहत हुआ है तो मुझे गहरा खेद है। मेरी निष्ठा कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ है। मैं जन्म से कांग्रेसी हूं और मरते दम तक कांग्रेसी रहूंगा।”

उन्होंने साफ किया कि उनका मकसद RSS की महिमा गाना नहीं था, बल्कि भाजपा ने इसे तोड़-मरोड़ कर राजनीतिक रंग देने की कोशिश की।

कांग्रेस में ही मचा घमासान

शिवकुमार की सफाई के बावजूद पार्टी के भीतर असंतोष कम नहीं हुआ। वरिष्ठ कांग्रेसी एमएलसी बी.के. हरिप्रसाद ने सार्वजनिक माफी की मांग की, वहीं पूर्व मंत्री के.एन. राजन्ना ने उनके “संदिग्ध कदमों की श्रृंखला” पर सवाल उठाए। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि शिवकुमार हाल ही में ईशा फाउंडेशन में महाशिवरात्रि कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मंच पर दिखाई दिए थे।

पार्टी विरोधियों का आरोप है कि शिवकुमार कांग्रेस और भाजपा-RSS की विचारधारा के बीच की रेखा को धुंधला कर रहे हैं, जबकि शिवकुमार इसे सिरे से खारिज करते हैं।

विवादों से घिरे नेता

डी.के. शिवकुमार का विवादों से पुराना नाता रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल की हवा खाने से लेकर सीबीआई और ईडी की छापेमार कार्रवाई तक, उनका नाम लगातार सुर्खियों में रहा है। हालांकि वे खुद को कांग्रेस की जीत दिलाने वाले ‘फाइटर’ के रूप में पेश करते हैं, मगर आलोचकों का मानना है कि उनका आक्रामक अंदाज़ कई बार पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित होता है।

राजनीतिक असर

भाजपा के लिए यह मुद्दा सोने पर सुहागा है। उसे कांग्रेस की “विचारधारात्मक दोहरी नीति” पर सवाल उठाने का मौका मिल गया है। वहीं कांग्रेस के लिए यह आंतरिक मतभेद का कारण बन गया है, जबकि कर्नाटक में भाजपा के खिलाफ मज़बूत एकजुटता की सबसे ज्यादा जरूरत है।

फिलहाल शिवकुमार ने माफी मांगकर माहौल को शांत करने की कोशिश की है, लेकिन विधानसभा में RSS गीत गाने से जो राजनीतिक आग भड़की है, वह इतनी आसानी से बुझने वाली नहीं दिखती। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सिर्फ एक “मज़ाकिया खिंचाई” थी या फिर एक महंगी राजनीतिक चूक, जो शिवकुमार का पीछा करती रहेगी।

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