समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 सितंबर: अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो के बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। नवारो ने दावा किया कि भारत के ब्राह्मण रूस से तेल खरीदकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। इस पर नगीना से सांसद और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
संप्रभुता पर चोट, लेकिन आंकड़ों से इनकार नहीं
चंद्रशेखर आज़ाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“मैं भारत की संप्रभुता और आंतरिक मामलों में किसी भी विदेशी हस्तक्षेप की निंदा करता हूं। लेकिन यह भी सच है कि आज़ादी के 75 साल बाद भी सत्ता और संसाधन कुछ मुट्ठीभर जातियों के कब्जे में हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत की केवल 1% आबादी के पास देश की 40% से ज्यादा संपत्ति है। वहीं, 10% लोग 77% राष्ट्रीय संपत्ति पर काबिज हैं, जबकि नीचे के 60% लोगों का हिस्सा महज 4.8% है।
सामाजिक असमानता पर तीखा हमला
आजाद ने कहा कि दलित, आदिवासी (SC/ST), पिछड़े वर्ग (OBC) और धार्मिक अल्पसंख्यक अब भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेले जा रहे हैं। यही असमानता भारत की प्रगति में बाधा है और यही वजह है कि विदेशी ताक़तों को भारत के समाज पर सवाल उठाने का मौका मिलता है।
आज़ाद ने दिए तीन बड़े सुझाव
उन्होंने देश को समानता की ओर ले जाने के लिए तीन अहम कदम सुझाए:
- जातिगत जनगणना – ताकि यह साफ हो सके कि किस वर्ग के पास कितना संसाधन है।
- निजी क्षेत्र में आरक्षण – जिससे अवसर सिर्फ ऊंची जातियों तक सीमित न रहें।
- आर्थिक न्याय – ताकि सभी वर्गों को समान अधिकार और हिस्सेदारी मिल सके।
चंद्रशेखर ने कहा, “तभी एक समानता वाला भारत बनेगा, जहाँ जातिगत विषमता विदेशी ताक़तों के लिए मुद्दा नहीं होगी और बाबा साहेब का भारत मजबूत खड़ा होगा।”
ट्रंप सलाहकार के बयान पर भले ही भारत में राजनीतिक बहस तेज हो गई हो, लेकिन चंद्रशेखर आज़ाद के बयान ने एक बार फिर जातिगत विषमता और आर्थिक असमानता को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना दिया है। सवाल यह है कि क्या भारत इन आंतरिक चुनौतियों का समाधान कर पाएगा या फिर विदेशी आलोचना का सामना करता रहेगा।
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