मराठा आरक्षण आंदोलन: जरांगे की भूख हड़ताल खत्म, 60 हजार से अधिक समर्थकों के बावजूद मुंबई में शांति बनाए रखने में सफल रही पुलिस

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 3 सितंबर: मनोज जरांगे के नेतृत्व में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन का असर पांच दिनों तक मुंबई की सड़कों पर दिखा। हजारों की संख्या में जुटे प्रदर्शनकारियों के बावजूद स्थिति नियंत्रण में रही, जिसका श्रेय मुंबई पुलिस की सतर्कता और तैयारी को जाता है। दक्षिण मुंबई के ऐतिहासिक छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) भवन के निकट आजाद मैदान में आयोजित इस बड़े प्रदर्शन में पुलिस और प्रशासन लगातार निगरानी बनाए रहे।

जरांगे की भूख हड़ताल और आंदोलन की पृष्ठभूमि

मनोज जरांगे ने 29 अगस्त को मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। राज्य सरकार द्वारा उनकी अधिकांश मांगें मान लिए जाने के बाद मंगलवार को उन्होंने यह अनशन समाप्त कर दिया। भूख हड़ताल की शुरुआत के साथ ही पूरे महाराष्ट्र से हजारों प्रदर्शनकारी मुंबई पहुँचे और आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला।

भीड़ और यातायात पर असर

दक्षिण मुंबई के प्रमुख चौराहों पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ देखी गई, जिससे सुबह के व्यस्त समय में यातायात प्रभावित हुआ। कई प्रदर्शनकारी सीएसएमटी परिसर में पहुँच गए और प्लेटफॉर्म पर चटाई बिछाकर बैठ गए। पुलिस ने बताया कि शुरू में 5,000 प्रदर्शनकारियों की अनुमति दी गई थी, लेकिन 8,000 से अधिक वाहनों में करीब 60,000 लोग मुंबई पहुँचे। इससे कई रास्ते बाधित हो गए।

पुलिस की तैयारी और निगरानी

पुलिस ने आंदोलन शुरू होने से पहले ही जरांगे की टीम के साथ बैठक की थी। आजाद मैदान में 1,500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए, जबकि सीआरपीएफ, सीआईएसएफ और आरएएफ की टुकड़ियाँ भी मौके पर मौजूद रहीं। स्थिति पर नज़र रखने के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों का सहारा लिया गया। वरिष्ठ अधिकारी—संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्य नारायण चौधरी, एसीपी अभिनव देशमुख और डीसीपी प्रवीण मुंधे—लगातार स्थल पर मौजूद रहे।

कोर्ट का आदेश और पुलिस की कार्रवाई

मंगलवार को स्थिति तब संवेदनशील हो गई जब मुंबई उच्च न्यायालय ने सरकार को अपराह्न तीन बजे से पहले सड़कें खाली कराने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से आजाद मैदान और सीएसएमटी के सामने से अपने वाहनों को हटाने की अपील की। पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों से वाहनों को हटवाने के लिए घोषणाएँ कीं और उन्हें नवी मुंबई में पार्क करने को कहा।

डीसीपी प्रवीण मुंधे ने जरांगे को वीडियो कॉल किया, जिसके बाद जरांगे ने समर्थकों से पुलिस के साथ सहयोग करने का अनुरोध किया। परिणामस्वरूप, भीड़ ने धीरे-धीरे स्थान खाली करना शुरू किया।

पुलिस की सराहना और शांतिपूर्ण अंत

मंगलवार शाम तक आजाद मैदान पूरी तरह खाली हो गया। इसके बाद संयुक्त पुलिस आयुक्त चौधरी ने मौके का दौरा किया और पुलिस कर्मियों की सराहना की। उन्होंने कहा, “आप सभी ने बेहतरीन प्रयास किया और स्थिति को नियंत्रण में रखा। मुझे आप पर गर्व है।”

एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि “इतनी बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने के बावजूद स्थिति कभी भी नियंत्रण से बाहर नहीं हुई। यह पुलिस और प्रशासन के प्रभावी प्रबंधन का नतीजा है।”

मराठा आरक्षण आंदोलन ने एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में गहरी हलचल पैदा की है। हालाँकि, मुंबई पुलिस की तैयारी और जरांगे की अपील से स्थिति नियंत्रण में रही। प्रदर्शनकारियों का अनुशासन और प्रशासन का संतुलित रवैया इस बड़े आंदोलन को शांतिपूर्ण रूप से संपन्न करने में अहम साबित हुआ।

 

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