भारत को टुकड़ों में बांटने की साजिश: ऑस्ट्रियाई नेता गुंथर फेलिंगर का विवादित बयान, खालिस्तानी समर्थकों से की गुप्त चर्चा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 सितंबर: भारत ने 78 साल पहले गुलामी की बेड़ियां तोड़ दी थीं और आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर महाशक्ति की ओर अग्रसर है। यह आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भारत अब किसी भी वैश्विक दबाव के आगे झुकता नहीं, चाहे रूस से तेल खरीदने का मामला हो या फिर अमेरिका और यूरोप का टैरिफ को लेकर दबाव। लेकिन भारत का यही स्वाभिमानी रुख यूरोप में बैठे कुछ साम्राज्यवादी मानसिकता वाले नेताओं को रास नहीं आ रहा। इसी कड़ी में ऑस्ट्रिया के विवादित नेता गुंथर फेलिंगर ने भारत के खिलाफ जहरीला बयान देते हुए देश को टुकड़ों में बांटने की बात कही है।
NATO Enlargement Committee Chairman for Austria Calls for 🇮🇳 to be DISMANTLED into "ExIndia" pic.twitter.com/kN725KA2sv
— RT_India (@RT_India_news) September 4, 2025
खालिस्तानियों के साथ गुप्त बातचीत
गुंथर फेलिंगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर खालिस्तान समर्थक एक हैंडल द्वारा आयोजित चर्चा में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने खुलेआम खालिस्तानी आतंकवादियों को भारत को तोड़कर एक अलग देश बनाने का तरीका बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “तानाशाह” करार देते हुए कहा कि भारत को आजादी से पहले जैसी स्थिति में लौटाया जाना चाहिए।
फेलिंगर ने अपने पोस्ट में लिखा,
“आज मैंने सिख नैरेटिव के साथ दो घंटे तक इस बारे में चर्चा की कि खालिस्तान की आजादी कैसे हासिल की जाए और भारत के लोगों को रूस समर्थक तानाशाह नरेंद्र मोदी के चंगुल से कैसे आजाद किया जाए।”
भारत-विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा
चर्चा के दौरान फेलिंगर ने भारत के खिलाफ कई विवादास्पद टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि “आज के ब्रिक्स और भारत की भयावहता तथा कथित नरसंहारी प्रकृति के बारे में मैंने बहुत कुछ सीखा।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान न सिर्फ भारत की संप्रभुता पर हमला है, बल्कि खालिस्तानी एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ावा देने की सुनियोजित कोशिश भी है।
कौन हैं गुंथर फेलिंगर?
गुंथर फेलिंगर एक ऑस्ट्रियाई राजनेता और इन्फ्लुएंसर हैं। वे यूरोपीय कमेटी फॉर नाटो इनलार्जमेंट नामक लॉबी समूह चलाते हैं, जो ऑस्ट्रिया, कोसोवो, यूक्रेन, आर्मेनिया, मोल्दोवा समेत कई यूरोपीय देशों को नाटो में शामिल करने की मुहिम चलाता है। हालांकि, उनका नाटो से कोई आधिकारिक संबंध नहीं है और वे केवल एक प्राइवेट लॉबी समूह के जरिए अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं।
फेलिंगर पहले भी भारत और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने में सक्रिय रहे हैं। विश्लेषकों के अनुसार, उनकी टिप्पणियां भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाने और खालिस्तानी अलगाववाद को अंतरराष्ट्रीय समर्थन देने का हिस्सा हैं।
भारत की बढ़ती शक्ति से असहज पश्चिम
भारत अब केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि कूटनीतिक और सामरिक मोर्चे पर भी मजबूत होता जा रहा है। रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका का दबाव हो या यूरोप की सुरक्षा नीतियां, भारत ने हर बार अपने हितों को सर्वोपरि रखा है। यही स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रवैया पश्चिमी देशों के कुछ धड़ों को असहज कर रहा है।
ऑस्ट्रियाई नेता गुंथर फेलिंगर के बयान ने यह साफ कर दिया है कि खालिस्तानी एजेंडे को कुछ अंतरराष्ट्रीय ताकतें परोक्ष समर्थन दे रही हैं। हालांकि, आज का भारत न तो 1947 का कमजोर भारत है और न ही किसी बाहरी दबाव में झुकने वाला। यह आत्मनिर्भर और सशक्त भारत ऐसी किसी भी साजिश का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।
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