समग्र समाचार सेवा
मुजफ्फरपुर, 17 सितंबर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर में एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सम्मेलन स्थल पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के बगल में भाजपा का झंडा लगाने का मामला सामने आया, जिसके बाद यह घटना राजनीतिक बहस का विषय बन गई। सोशल मीडिया पर इस घटना की तस्वीरें वायरल होने लगीं और विपक्ष ने इसे गांधी जी का अपमान बताया।
घटना के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और विधायक तेज प्रताप यादव मंगलवार (14 सितम्बर) को मुजफ्फरपुर पहुँचे और गांधी प्रतिमा का शुद्धिकरण किया। उन्होंने गंगाजल और दूध से प्रतिमा को धोया, माल्यार्पण किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर जमकर हमला बोला।
तेज प्रताप यादव का हमला
तेज प्रताप यादव ने शुद्धिकरण की तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा करते हुए लिखा,
“यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और आरएसएस के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने गांधी प्रतिमा पर झंडा, पट्टा और टोपी लगा दिया। यह वही विचारधारा है जिसने महात्मा गांधी का अपमान किया और गोडसे ने उनकी हत्या की।”
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस के लोग गांधी के विचारों के खिलाफ हैं और आजादी से पहले से ही राष्ट्रपिता का अपमान करते आए हैं। उन्होंने कहा, “यह वीरों और बहादुरों का देश है, लेकिन भाजपा वाले कायर और देशद्रोही हैं। इतिहास इन्हें कभी माफ नहीं करेगा।”
गांधी प्रतिमा का गंगाजल और दूध से अभिषेक
तेज प्रताप यादव ने मीनापुर के रामकृष्ण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परिसर स्थित प्रतिमा का गंगाजल और दूध से अभिषेक कर “शुद्धिकरण” किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गांधी जी के विचारों को दबाने का कोई भी प्रयास नाकाम रहेगा।
इसके बाद वे शिवहर भी पहुँचे और वहां भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि यह केवल गांधी का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का अपमान है और भाजपा को इसके लिए माफी माँगनी चाहिए।
तेजस्वी यादव पर चुप्पी, ‘बहुरूपियों’ पर वार
जब पत्रकारों ने तेज प्रताप यादव से उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव के दौरे पर सवाल पूछा, तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि बिहार की राजनीति में कई “बहुरूपिये” घूम रहे हैं और जनता को उनसे सतर्क रहने की जरूरत है।
राजनीति में गरमाहट बढ़ी
गांधी प्रतिमा विवाद ने बिहार की राजनीति को और गरमा दिया है। विपक्षी दल इस मुद्दे को भाजपा के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं भाजपा की ओर से अब तक इस पर आधिकारिक सफाई नहीं आई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गांधी जी का नाम और विचारधारा बिहार की राजनीति में हमेशा अहम रहे हैं, ऐसे में इस घटना को लेकर आने वाले समय में राजनीतिक बहस और तेज हो सकती है।
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