लद्दाख में अशांति और वांगचुक की भूख हड़ताल: कांग्रेस और AAP नेताओं ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26 सितंबर: लद्दाख की समस्याओं और वहां के लोगों की मांगों को सुनना और उनका समाधान करना सरकार की जिम्मेदारी है। यह बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कही। उन्होंने कहा कि लद्दाख देश के लिए सांस्कृतिक, आर्थिक, पारिस्थितिकी और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और वहां के लोग गौरवान्वित भारतीय हैं। इसलिए उनकी समस्याओं का बातचीत के जरिए समाधान करना निहायत जरूरी है।

इसी बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने सोनम वांगचुक पर लगाए गए आरोपों की कड़ी निंदा की। केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि देश और शिक्षा के लिए चिंतित वांगचुक को केंद्र सरकार की “घटिया राजनीति” के तहत परेशान किया जा रहा है।

लद्दाख में अशांति और भूख हड़ताल

लद्दाख में हाल की अशांति के बीच सोनम वांगचुक ने अपनी मांगों को लेकर 14 दिनों की भूख हड़ताल की। वांगचुक पिछले पांच वर्षों से शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हैं, जिसमें लेह से दिल्ली तक नंगे पाँव की यात्रा भी शामिल रही। उनकी मांगों का मुख्य उद्देश्य लद्दाख को राज्य का दर्जा देना और छठी अनुसूची में शामिल करना है।

जम्मू और कश्मीर में राज्य का दर्जा

जम्मू और कश्मीर के लोग भी 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से राज्य का दर्जा लौटाने की मांग कर रहे हैं। लेह में अधिकारियों ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत प्रतिबंध लगाए हैं। जिला मजिस्ट्रेट के आदेश अनुसार ज़िले में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर रोक है, और बिना पूर्व अनुमति के कोई जुलूस या रैली आयोजित नहीं की जा सकती।

सरकार की बातचीत और समाधान प्रयास

केंद्र सरकार इन मुद्दों पर लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है। उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) और उप-समिति के माध्यम से कई औपचारिक और अनौपचारिक बैठकें आयोजित की गई हैं। इसका उद्देश्य लद्दाख के लोगों की समस्याओं का शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से समाधान करना है।

जयराम रमेश ने कहा कि लद्दाख के लोग भारतीय होने के नाते गौरव महसूस करते हैं, इसलिए उनकी मांगों को नजरअंदाज करना देश के हित में नहीं है। वहीं, अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे लोगों को परेशान करना न केवल अनुचित है, बल्कि देश की प्रगति के लिए खतरा भी पैदा करता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लद्दाख में उठ रहे ये मुद्दे न केवल स्थानीय प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं, बल्कि केंद्र-राज्य संबंधों की जटिलताओं को भी उजागर कर रहे हैं। सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल और सरकार की प्रतिक्रियाएं आगामी दिनों में लद्दाख के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती हैं।

 

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