प्रधानमंत्री मोदी ने पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर जताया शोक

समग्र समाचार सेवा
दिल्ली, 2 अक्टूबर: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने पंडित जी को भारतीय कला और संस्कृति का जीवनपर्यंत उपासक बताया और उनकी कला में भारत की शास्त्रीय परंपरा की गहनता को सराहा।

पंडित छन्नूलाल मिश्र वाराणसी घराने के प्रमुख संगीतकारों में से एक थे। उनकी गायन प्रस्तुतियों में काशी की समृद्ध संगीत विरासत झलकती थी और उन्होंने अनगिनत छात्रों को संगीत का मार्गदर्शन प्रदान कर उसे संरक्षित और संवर्धित किया। उनके प्रयासों ने वाराणसी को शिक्षा, भक्ति और कलात्मक उत्कृष्टता का केंद्र बना दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने पंडित जी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को याद करते हुए उनके आशीर्वाद और स्नेह की प्राप्ति को अपने लिए सौभाग्यपूर्ण बताया। खासकर 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान पंडित जी वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से उनके प्रस्तावक रहे थे। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पंडित जी के योगदान को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।

पंडित छन्नूलाल मिश्र को उनकी अद्वितीय शास्त्रीय गायन शैली और संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए 2020 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पंडित जी की विरासत आने वाली पीढ़ियों के संगीतकारों और कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री मोदी ने पोस्ट में लिखा:
“सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सदैव उनका स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त होता रहा। साल 2014 में वे वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति!”

विशेषज्ञों का कहना है कि पंडित छन्नूलाल मिश्र जैसे कलाकारों का योगदान केवल संगीत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और शास्त्रीय परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनका निधन भारतीय कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश भारतीय संस्कृति और शास्त्रीय संगीत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है और यह सुनिश्चित करता है कि पंडित जी की कला और विरासत लंबे समय तक जीवित रहेगी।

 

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