पूर्व रॉ प्रमुख विक्रम सूद ने अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर उठाए गंभीर सवाल, डीप स्टेट की भूमिका पर जताई चिंता

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर: रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने हाल ही में अमेरिका-पाकिस्तान के बीच मजबूत होते संबंधों पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्धविराम में अपनी भूमिका के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे को खारिज करने के बाद हुआ। सूद ने जोर देकर कहा कि अमेरिका में एक “डीप स्टेट” सक्रिय है, जो भारत की आर्थिक प्रगति में बाधा बन रहा है।

विक्रम सूद ने कहा, “यह (अमेरिका-पाकिस्तान संबंध) ट्रंप की निजी नाराजगी से शुरू हुआ, जब हमने उन्हें तथाकथित ‘युद्धविराम’ का श्रेय देने से इनकार कर दिया। पाकिस्तानी घुटनों के बल बैठ गए और बोले, ‘शुक्रिया, मेरे प्रभु। आप नोबेल पुरस्कार के योग्य हैं।’ डीप स्टेट यही तो कर रहा है। वे नहीं चाहते कि भारत आर्थिक रूप से तरक्की करे।”

उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका भारत की आर्थिक वृद्धि से भयभीत है, क्योंकि अब भारत और चीन दोनों “बड़ी आर्थिक शक्तियां” बन चुके हैं। विक्रम सूद का कहना है कि अमेरिका का यह रवैया राष्ट्रवादी हितों के लिए नहीं है। जब भारत राष्ट्रवाद की बात करता है, तो इसे अक्सर हिंदू राष्ट्रवाद के रूप में पेश किया जाता है, जबकि डर यह है कि चीन में पहले से बड़ी आर्थिक शक्ति है और भारत अब दूसरी बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है।

सूद की यह टिप्पणियाँ ऐसे समय में आई हैं, जब डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया। इससे पहले ट्रंप ने पाकिस्तानी नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए असीम मुनीर को “एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति” बताया।

डीप स्टेट के बारे में बताते हुए विक्रम सूद ने कहा कि इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल तुर्की में हुआ था, जहां खुफिया और सैन्य अधिकारी एक कार दुर्घटना में मारे गए थे। इसके बाद इसका अर्थ बदल गया और अब यह उन लोगों को संदर्भित करता है जो पर्दे के पीछे से राजनीतिक और सैन्य निर्णयों को प्रभावित करते हैं। इसमें कॉर्पोरेट समूह, सैन्य खुफिया एजेंसियां और शक्तिशाली थिंक-टैंक शामिल हैं, जो किसी भी देश की नीतियों और विदेश संबंधों में गहन प्रभाव डालते हैं।

सूद ने कहा, “उदाहरण के लिए, अमेरिका में केवल व्हाइट हाउस या कांग्रेस ही निर्णय नहीं लेती। यह कंपनियां भी निर्णय लेती हैं जो किसी विशेष राज्य में हथियार बना रही हैं, जो अपने कांग्रेसी को प्रभावित करती हैं और सरकार पर दबाव डालती हैं कि उन्हें हथियार बेचने की अनुमति मिले या अन्य अंतरराष्ट्रीय मामलों में कार्रवाई की जाए। यही वह ‘डीप स्टेट’ है जो पर्दे के पीछे से दुनिया की नीतियों को आकार देता है।”

पूर्व रॉ प्रमुख की इन टिप्पणियों ने न केवल भारत-यूएस-पीएम पाकिस्तान के संबंधों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि वैश्विक राजनीति में डीप स्टेट और आर्थिक ताकतों की भूमिका को लेकर भी गंभीर बहस शुरू कर दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, सूद की बातें अमेरिका-पाकिस्तान-भारत त्रिकोणीय संबंधों और भविष्य की सुरक्षा रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण संकेत देती हैं।

 

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