समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर: कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने रविवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है, और इसे कोई भी नहीं हटा सकता। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “यह बिहार की वोटर लिस्ट नहीं है जिसे चुनाव आयोग हटा देगा।”
एजेंसी ANI से बात करते हुए राशिद अल्वी ने कहा,
“अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान का मौलिक अधिकार है। इसे कोई भी हटा नहीं सकता। यह कोई बिहार की वोटर लिस्ट नहीं है, जिसे चुनाव आयोग हटा दे। और अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता न होती, तो खुद किरेन रिजिजू भी कोई बयान नहीं दे पाते।”
अल्वी का यह बयान उस समय आया जब एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया था कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे का राजनीतिक दुरुपयोग कर रही है। रिजिजू ने कहा था कि जो लोग यह कहते हैं कि उनकी आवाज़ दबाई जा रही है, वे दरअसल देश को विभाजित करने की साज़िश में लगे हैं।
रिजिजू ने अपने बयान में कहा,
“हमारे देश में जो लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करते हैं, वही लोग जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व को देश से अलग करने की बात करते हैं। क्या यही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? उन्हें संविधान में दिए गए अधिकारों की रक्षा की बात करनी चाहिए थी, न कि देश तोड़ने, माओवादियों का समर्थन करने या अनुच्छेद 370 का बचाव करने की।”
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले करते हैं और फिर दावा करते हैं कि देश में असहमति के लिए कोई जगह नहीं बची।
“सुबह से शाम तक पीएम मोदी को गालियां देते हैं और कहते हैं कि बोलने की आज़ादी नहीं है। वे इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग इस हद तक करना चाहते हैं कि देश को ही बांट दें,” रिजिजू ने कहा।
कांग्रेस नेताओं के अनुसार, सरकार असहमत विचारों को दबाने का काम कर रही है और लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता खतरे में है। वहीं, बीजेपी का दावा है कि विपक्ष अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश विरोधी एजेंडा चला रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस राजनीतिक बयानबाज़ी के बीच “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राजनीतिक सीमाएं” का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत भारत के हर नागरिक को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार पूर्ण नहीं है, क्योंकि इसमें राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और नैतिकता जैसी सीमाएँ भी लागू होती हैं।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच चल रहा यह विवाद आगामी चुनावी माहौल में राजनीतिक रूप से और भी तेज़ हो सकता है।
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