भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच मिसाइल और लड़ाकू विमान खरीद की तैयारी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर: भारत और पाकिस्तान के बीच तल्खी लगातार बनी हुई है, वहीं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर भारत पर निशाना साध रही है। इस राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव के बीच दोनों ही पड़ोसी देश अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में जुटे हुए हैं।

पाकिस्तान को अमेरिका की मदद

एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के युद्ध मंत्रालय (DoW) ने हाल ही में अधिसूचित एक हथियार अनुबंध में AIM-120 AMRAAM मिसाइलों के खरीदारों में पाकिस्तान का नाम भी शामिल किया है। अधिसूचना में अमेरिका ने ब्रिटेन, पोलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कतर, कोरिया, जापान, ताइवान सहित 40 से अधिक देशों को विदेशी सैन्य बिक्री में शामिल किया।

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान को कितनी नई AMRAAM मिसाइलें प्राप्त होंगी, लेकिन इसके सामने आने से पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 बेड़े के उन्नत होने की चर्चा तेज हो गई है।

चीन और बांग्लादेश

इसी बीच, बांग्लादेश ने लगभग 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से चीन निर्मित 20 J-10CE लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बनाई है। इसमें प्रशिक्षण, रखरखाव और अन्य संबंधित खर्च भी शामिल होंगे। इन विमानों को 2026 और 2027 के दौरान बांग्लादेशी वायुसेना के आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्राप्त किया जाएगा। हालांकि, इस सौदे पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

चीन और अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव

भारत और चीन के रिश्तों में गलवान क्षेत्र में 2020 की झड़प के बाद तनाव बढ़ गया था। हालांकि, बाद में दोनों देशों ने डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू की। हाल ही में अगस्त में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी।

वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने की खबरें आई हैं। अमेरिका रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर भारी टैरिफ लगाने का प्रयास कर रहा है, जबकि भारत और चीन भी रूस से तेल का व्यापार करते हैं।

भारत-पाकिस्तान तनाव और बांग्लादेश के सैन्य आधुनिकीकरण की खबरें क्षेत्रीय सुरक्षा पर चिंता बढ़ा रही हैं। अमेरिका और चीन की भागीदारी से स्थिति और जटिल हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, पड़ोसी देशों की इस सैन्य गतिविधि से दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन पर असर पड़ेगा और सुरक्षा में सतत सुधार की आवश्यकता है।

 

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