समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर ज़हरीली हो गई है। रविवार सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 284 दर्ज किया गया, जो ‘Poor’ (खराब) श्रेणी में आता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आईटीओ क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सबसे अधिक प्रभावित रही, जबकि अन्य इलाकों जैसे आनंद विहार, द्वारका, पंजाबी बाग और रोहिणी में भी हालात गंभीर बने हुए हैं।
सीपीसीबी के मानकों के अनुसार,
- 0-50 तक का AQI ‘अच्छा’ (Good),
- 51-100 ‘संतोषजनक’ (Satisfactory),
- 101-200 ‘मध्यम’ (Moderate),
- 201-300 ‘खराब’ (Poor),
- 301-400 ‘बहुत खराब’ (Very Poor), और
- 401-500 ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी में माना जाता है।
अर्थात, दिल्ली की हवा अब स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित मानी जा रही है। प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के साथ सांस से जुड़ी बीमारियों, खांसी, गले में खराश और आंखों में जलन जैसी समस्याएं फिर से बढ़ने लगी हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि रविवार को आसमान साफ रहेगा, अधिकतम तापमान लगभग 33 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। हालांकि, साफ आसमान और धीमी हवाओं के कारण हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व आसानी से बिखर नहीं पा रहे हैं।
स्थानीय निवासी आर्यन गुप्ता, जो पेशे से साइकिलिस्ट हैं, ने बताया कि प्रदूषण की वजह से सांस लेना मुश्किल हो गया है।
“हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा हुआ है। मैं रोहिणी से 20 किलोमीटर साइकिल चलाकर आया हूं, लेकिन सांस लेने में तकलीफ होती है। आंखों में जलन रहती है और सर्दी-खांसी भी बढ़ गई है। स्कूल-कॉलेज बंद करना अस्थायी उपाय है, स्थायी समाधान चाहिए।”
आर्यन ने आगे कहा कि पटाखों से प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन यह अकेला कारण नहीं है।
“मुख्य वजह हैं – वाहनों का धुआं, फसल जलाना और दिल्ली की भौगोलिक स्थिति। यह एक लैंडलॉक्ड सिटी है, जो पड़ोसी राज्यों – हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश – से आने वाला प्रदूषण भी जमा कर लेती है।”
उन्होंने सुझाव दिया कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए स्मॉग टावरों की संख्या बढ़ानी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) का सहारा लेना चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण में आने वाले हफ्तों में और बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि दीवाली के आसपास आतिशबाज़ी, फसल जलाने का मौसम और ठंडी हवाओं का जमाव प्रदूषण को और गंभीर बना देता है।
दिल्ली सरकार ने फिलहाल ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके तहत निर्माण कार्यों पर नियंत्रण, डीजल वाहनों की जांच और सड़क की सफाई जैसी कार्रवाइयाँ की जाएंगी।
दिल्ली की हवा एक बार फिर “जहर का झोंका” बन चुकी है। वैज्ञानिकों और नागरिकों का कहना है कि केवल त्योहारों पर रोक लगाने से समाधान नहीं होगा। ज़रूरत है दीर्घकालिक नीति, तकनीकी उपायों और जनभागीदारी की, ताकि दिल्ली एक बार फिर सांस लेने लायक शहर बन सके।
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