केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने एम्स, नई दिल्ली के 50वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य ढांचे में भारत ने हासिल की नई ऊंचाइयां
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भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 11 वर्षों में 387 से बढ़कर 819 हुई, जबकि UG सीटें 1.29 लाख और PG सीटें 78,000 तक पहुंचीं।
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AIIMS की संख्या अब 1 से बढ़कर 23 हो चुकी है, जो देशभर में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के प्रसार को दर्शाती है।
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मातृ मृत्यु दर (MMR) 130 से घटकर 88, और शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 से घटकर 27 — वैश्विक औसत से बेहतर प्रदर्शन।
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टीबी मामलों में 17.7% की कमी, जो वैश्विक दर 8.3% से दोगुनी प्रगति है, जैसा द लांसेट रिपोर्ट में उल्लेखित है।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 अक्तूबर:अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली के 50वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि बीते एक दशक में भारत ने चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है।
श्री नड्डा ने इस अवसर पर 326 स्नातकों को उपाधि प्राप्त करने पर बधाई देते हुए कहा कि एम्स ने न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चिकित्सा विज्ञान, शिक्षा और रोगी सेवा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने नवस्नातक डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे संवेदनशीलता और नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हुए समाज की सेवा करें और नवाचार को अपनाएं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि “बीसवीं सदी के अंत तक देश में केवल एक एम्स था, लेकिन आज भारत में 23 एम्स संस्थान कार्यरत हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा को हर क्षेत्र तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। इसी तरह स्नातक (UG) सीटें 51,000 से बढ़कर 1.29 लाख और स्नातकोत्तर (PG) सीटें 31,000 से बढ़कर 78,000 हो गई हैं। आने वाले पांच वर्षों में 75,000 अतिरिक्त सीटें जोड़ी जाएंगी।
श्री नड्डा ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में हुई प्रगति का उल्लेख करते हुए बताया कि मातृ मृत्यु दर (MMR) 130 से घटकर 88, और शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 से घटकर 27 हो गई है। साथ ही पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) और नवजात मृत्यु दर (NMR) में क्रमशः 42% और 39% की कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में टीबी के मामलों में 17.7% की कमी आई है, जो वैश्विक दर 8.3% से दोगुनी है, जैसा कि द लांसेट रिपोर्ट में उल्लेखित है।
कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य प्रो. वी.के. पॉल ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएं और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देकर “विकसित भारत” के निर्माण में भागीदार बनें।
इस समारोह में 326 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 50 पीएच.डी. स्कॉलर्स, 95 DM/MCh विशेषज्ञ, 69 MD, 15 MS, 4 MDS, 45 MSc, 30 MSc (नर्सिंग) और 18 एम.बायोटेक स्नातक शामिल हैं। इसके अलावा सात डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
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