डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद में न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़ा व्यापक विधेयक पेश किया
भारत के परमाणु ऊर्जा कानूनों को आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम
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परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को निरस्त करने का प्रस्ताव
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2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता और 2070 तक कार्बन न्यूनीकरण लक्ष्य से जुड़ा विधेयक
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परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी भागीदारी को बढ़ावा
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परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड को वैधानिक दर्जा और नया दायित्व तंत्र
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 15 दिसंबर: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद में सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल, 2025 पेश किया। यह विधेयक भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे को अद्यतन और एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
इस विधेयक का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 को निरस्त कर, उनकी जगह एक एकल और व्यापक कानून लागू करना है, जो देश की वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुरूप हो।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि निरंतर अनुसंधान एवं विकास के बल पर भारत ने परमाणु ईंधन में आत्मनिर्भरता की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। सरकार का मानना है कि परमाणु ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ डेटा केंद्रों और भविष्य की उन्नत तकनीकी जरूरतों के लिए चौबीसों घंटे विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कर सकती है।
प्रस्तावित कानून भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा और जलवायु लक्ष्यों से जुड़ा है। इसमें 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता और 2070 तक कार्बन न्यूनीकरण के राष्ट्रीय लक्ष्य को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वदेशी संसाधनों के उपयोग और सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर विशेष बल दिया गया है।
विधेयक में परमाणु ऊर्जा उत्पादन और उपयोग से जुड़े व्यक्तियों व संस्थाओं के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था, सुरक्षा प्राधिकरण, तथा लाइसेंस निलंबन या रद्द करने के स्पष्ट प्रावधान शामिल हैं। साथ ही, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, उद्योग और अनुसंधान क्षेत्रों में परमाणु एवं विकिरण तकनीकों के नियंत्रित उपयोग को भी इसमें शामिल किया गया है, जबकि अनुसंधान और नवाचार गतिविधियों को लाइसेंसिंग से छूट दी गई है।
इसके अलावा, बिल में परमाणु क्षति के लिए संशोधित नागरिक दायित्व तंत्र, परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड को वैधानिक दर्जा, तथा सुरक्षा और आपातकालीन तैयारी को मजबूत करने के प्रावधान हैं। इसमें परमाणु ऊर्जा शिकायत सलाहकार परिषद, दावा अधिकारियों की नियुक्ति और गंभीर मामलों के लिए परमाणु क्षति दावा आयोग के गठन का भी प्रस्ताव है, जिसमें विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण अपीलीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगा।
सरकार का कहना है कि यह विधेयक भारत के ऊर्जा परिवर्तन, तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप परमाणु शासन को आधुनिक बनाने की दिशा में एक संतुलित प्रयास है, जो सुरक्षा, जवाबदेही और सार्वजनिक हित को प्राथमिकता देता है।
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