समग्र शासन के तहत कार्मिक सुधारों पर डॉ. जितेंद्र सिंह का ज़ोर

राज्य–केंद्र तालमेल, मिशन कर्मयोगी और डिजिटल एचआर प्रणालियों पर ज़ोर; कैडर समीक्षा में देरी और प्रशिक्षण की कमियों पर चर्चा

  • राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों से कार्मिक सुधारों में बेहतर समन्वय की अपील
  • मिशन कर्मयोगी को क्षमता निर्माण का प्रमुख आधार बताया
  • कैडर समीक्षा में देरी से प्रशासनिक दक्षता प्रभावित होने पर चिंता
  • डिजिटल एचआर, ई-मानव संसाधन और ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म के विस्तार पर बल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 15 दिसंबर: केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों से ‘समग्र शासन’ के दृष्टिकोण के अनुरूप नजदीकी तालमेल के साथ काम करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इससे कार्मिक प्रशासन के आधुनिकीकरण, प्रक्रियात्मक देरी में कमी और विभिन्न सेवाओं में क्षमता निर्माण को मजबूती मिलेगी।

राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के सचिवों (कार्मिक/सामान्य प्रशासनिक विभाग) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में शासन सुधारों का केंद्र नियमों का सरलीकरण, प्रौद्योगिकी का उपयोग और परिणामोन्मुख प्रशासन रहा है, जिससे सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सुधारों की खास पहचान नए नियम जोड़ने के बजाय पुराने और जटिल नियमों को समाप्त करना रही है। उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र सत्यापन सहित 1600 से 1700 नियमों को हटाया गया है और कुछ परीक्षाओं में साक्षात्कार समाप्त करने से पारदर्शिता बढ़ी है।

मंत्री ने मिशन कर्मयोगी को क्षमता निर्माण का प्रमुख स्तंभ बताते हुए कहा कि इसका विस्तार सेवारत अधिकारियों से लेकर नई भर्तियों और अब स्थानीय निकाय स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधियों तक किया जा रहा है।

सेवा से जुड़े मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने कैडर समीक्षा में देरी पर चिंता जताई और कहा कि लंबे समय तक लंबित मामलों से प्रशासनिक दक्षता और जनधारणा प्रभावित होती है। उन्होंने एकीकृत पेंशन योजना को लेकर फैल रही भ्रांतियों को दूर करने और राज्यों तक सही जानकारी पहुंचाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

संवाद सत्र में राज्यों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति, कैडर समीक्षा और सेवा प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों को सामने रखा। इस पर मंत्री ने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों को समझना ज़रूरी है, लेकिन तदर्थ छूट से समानता प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

डीओपीटी सचिव रचना शाह ने कहा कि कैडर समीक्षा प्रस्ताव समय पर और सुविचारित होने चाहिए। उन्होंने बताया कि आईएएस कैडर समीक्षा में प्रगति हुई है और आईपीएस व आईएफएस की लंबित समीक्षाओं में भी तेजी लाई जा रही है। प्रशिक्षण कैलेंडर, डिजिटल माध्यमों और क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम विस्तार पर भी चर्चा हुई।

लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के निदेशक श्रीराम तारानिकंती ने मध्य-करियर और प्रेरण प्रशिक्षण में आ रही चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाया और राज्यों से अधिकारियों को समय पर प्रशिक्षण के लिए कार्यमुक्त करने का आग्रह किया।

सम्मेलन में देशभर के वरिष्ठ कार्मिक प्रशासकों ने अनुभव साझा किए और केंद्र–राज्य सहयोग के माध्यम से सुधार प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई।

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