‘रील स्टार’ टिप्पणी के बाद छात्रों की हिरासत से बाड़मेर में विवाद गहराया।

  • प्रियंका चतुर्वेदी ने कार्रवाई को नौकरशाही की असहिष्णुता बताया।
  • शुल्क वृद्धि के विरोध में प्रदर्शन कर रहे दो छात्र नेता हिरासत में लिए गए थे।
  • प्रशासन का दावा, कानून-व्यवस्था के लिए कार्रवाई हुई, कोई मामला दर्ज नहीं।
  • टीना डाबी विवाद पर सियासी घमासान, छात्र हिरासत को लेकर उठे सवाल

 समग्र समाचार सेवा

बाड़मेर राजस्थान ,23 दिसंबर:राजस्थान कैडर की चर्चित भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी और बाड़मेर की जिला कलेक्टर टीना डाबी को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। कॉलेज शुल्क वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों की हिरासत के बाद यह मामला अब प्रशासनिक कार्रवाई से आगे बढ़कर राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। ‘रील स्टार’ टिप्पणी के बाद छात्रों को हिरासत में लिए जाने पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

प्रियंका चतुर्वेदी का आरोप: नौकरशाही की असहिष्णुता

प्रियंका चतुर्वेदी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह नौकरशाही में बढ़ती असहिष्णुता का एक और उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता के प्रभाव में कुछ अधिकारी आलोचना या व्यंग्य को सहन नहीं कर पाते और मामूली टिप्पणियों पर कठोर कार्रवाई कर देते हैं। उनके अनुसार, ऐसे मामलों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक विरोध के अधिकार को कमजोर किया जा रहा है।

शुल्क वृद्धि के विरोध से शुरू हुआ विवाद

यह विवाद बाड़मेर जिले के मुल्तानमल भीखचंद छाजेड़ महिला महाविद्यालय के बाहर उस समय शुरू हुआ, जब छात्र-छात्राएँ  कॉलेज शुल्क वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े दो छात्र नेता भी प्रदर्शन में शामिल थे। छात्रों का आरोप है कि एक छात्र नेता द्वारा जिला कलेक्टर को ‘रील स्टार’ कहे जाने के बाद पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया।

पुलिस कार्रवाई और छात्राओं का विरोध

पुलिस ने सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देते हुए दोनों छात्र नेताओं को कोतवाली थाने ले जाया। हिरासत की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में छात्राएँ  थाने पहुँच  गईं और छात्रों की तत्काल रिहाई की माँग  को लेकर धरने पर बैठ गईं। कुछ समय तक थाने के बाहर तनाव का माहौल बना रहा।

जिला कलेक्टर की सफाई

पूरे मामले पर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने सफाई देते हुए कहा कि कार्रवाई का उद्देश्य केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखना था। उनके अनुसार, प्रदर्शन के दौरान अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार हुआ था और स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी छात्र के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया और बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।

प्रशासनिक सख्ती बनाम अभिव्यक्ति की आज़ादी

गौरतलब है कि टीना डाबी 2016 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने मात्र 22 वर्ष की उम्र में सिविल सेवा परीक्षा में पहला स्थान हासिल कर देशभर में पहचान बनाई थी। मौजूदा घटना ने एक बार फिर यह बहस तेज कर दी है कि प्रशासनिक गरिमा, छात्रों के विरोध के अधिकार और अभिव्यक्ति की सीमा के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।

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