SHANTI विधेयक मोदी सरकार का सबसे बड़ा विज्ञान सुधार- डॉ. जितेंद्र सिंह
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तीसरा कार्यकाल, मोदी 3.0 की विशेषता साहसिक, बुनियादी सुधार है, जिसमें विज्ञान, नवाचार और उद्यमिता पर विशेष जोर दिया गया है
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शांति विधेयक ने परमाणु क्षेत्र में छह दशक पुराना गतिरोध तोड़ा
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2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य
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स्वच्छ ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और उन्नत अनुसंधान को मिलेगा बढ़ावा
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छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों से ऊर्जा सुरक्षा और मजबूत होगी
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 29 दिसंबर: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शांति विधेयक को मोदी सरकार के सबसे बड़े विज्ञान सुधारों में से एक के रूप में इतिहास में याद किया जाएगा। उन्होंने एक मीडिया साक्षात्कार में कहा कि यह विधेयक भारत के भावी सामाजिक-आर्थिक ढांचे को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल, यानी मोदी 3.0 की पहचान साहसिक और बुनियादी सुधार हैं, जिनमें विज्ञान, नवाचार और उद्यमिता पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब तक सुधारों को मुख्य रूप से शासन और कल्याण से जोड़ा जाता रहा, लेकिन आने वाले दशकों में राष्ट्र का भविष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में किए गए सुधारों से तय होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शांति विधेयक विज्ञान आधारित सुधारों को राष्ट्रीय परिवर्तन के केंद्र में रखता है और यह परमाणु क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह विधेयक सुरक्षा, संप्रभुता और जनहित के उच्च मानकों को बनाए रखते हुए शांतिपूर्ण और स्वच्छ ऊर्जा के नए युग का द्वार खोलता है।
उन्होंने बताया कि भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 2014 में लगभग 4.4 गीगावाट थी, जो अब बढ़कर लगभग 8.7 गीगावाट हो चुकी है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक इसे करीब 100 गीगावाट तक पहुंचाने का है, जिससे देश की लगभग 10 प्रतिशत विद्युत आवश्यकताएं पूरी हो सकेंगी और नेट जीरो लक्ष्य को मजबूती मिलेगी।
मंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में परमाणु विज्ञान की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परमाणु चिकित्सा और आइसोटोप के जरिए कैंसर जैसे गंभीर रोगों के निदान और उपचार में तेजी आई है, जिससे परमाणु विज्ञान मानव कल्याण और सामाजिक उन्नति की एक महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभरा है।
भविष्य की तैयारियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है, जो शहरी क्षेत्रों और औद्योगिक गलियारों के लिए उपयुक्त हैं। शांति विधेयक को वैज्ञानिक समुदाय, उद्योग जगत, स्टार्टअप और नवाचार तंत्र से व्यापक समर्थन मिला है, जो परमाणु क्षेत्र में सुधार और आधुनिकीकरण को लेकर राष्ट्रीय सहमति को दर्शाता है।
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