10 लाख किसानों को होगा लाभ, 10 हजार करोड़ रू. का आएगा निवेश- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 मई। बागवानी क्षेत्र में व्यापक वृद्धि सुनिश्चित करने व किसानों को ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए,कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने,प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सफलतम 7 साल पूरे होने के उपलक्ष में बागवानी कलस्टर विकास कार्यक्रम (सी.डी.पी.)काशुभारंभ किया। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड इसे कार्यान्वित करेगा। ऊंची कीमत वाली बागवानी फसलों का आयात कम करने व जहां कहीं संभव हो, निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश में विभिन्न फसलों के लिए 53 बागवानी कलस्टरों की पहचान की है। इन 53 कलस्टरों में से, 12 कलस्टरों को कलस्टर विकास कार्यक्रम के इस प्रायोगिक चरण के लिए चुना गया है।5 से 7वर्षों की अवधि में सभी 53 कलस्टरों में कार्यक्रम लागू किए जाने पर, कुल निर्यात लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा किसी.डी.पी. से 10 लाख किसानों सहित अन्य हितधारकों को लाभ होगा, वहीं 10 हजार करोड़ रूपए का निवेश आएगा, जिसमें 6500 करोड़ रू. निजी क्षेत्र से आएगा। सी.डी.पी. का लक्ष्य पहचान किए गए बागवानी कलस्टरों को बढ़ावा देना- विकास करना है, ताकि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सके। इसकेमाध्यमसे उत्पादन एवंफसल-कटाई उपरांत प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स, विपणन व ब्रांडिंग सहित भारतीय बागवानी क्षेत्र से संबंधित सभी मुख्य मुद्दों का समाधान किया जाएगा। श्री तोमर ने कहा कि भारत, विश्व में बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है व विश्व के फल-सब्जियों का लगभग 12 प्रतिशत उत्पादन करता है। उन्होंने विश्व बागवानी व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए विश्व की उत्तम पद्धतियां अपनाने की जरूरत है। इससे बागवानी क्षेत्र के घरेलू एवं वैश्विक बाज़ार में हिस्सेदारी को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का प्रारंभ से ही इस बात पर जोर रहा है कि खेती में संतुलन हो, किसान मुनाफे की खेती करें, कृषि उपज की गुणवत्ता बढ़े, नई-नई तकनीकों का पूरा उपयोग हो, छोटे किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हों एवं दुनिया की कृषि संबंधी आवश्यकताओं में भारत बेहतर योगदान दें तथा निर्यात भी बढ़ सकें। प्रधानमंत्री जी की ही प्रेरणा से केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय लगातार, एक के बाद एक ठोस कदम उठाकर सफलता के सोपान पर पहुंचने में लगा हुआ है। नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित हो सकें, इस दृष्टि से इस क्षेत्र को और मूल्यवान बनाना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद भारत में खाद्यान्न व बागवानी क्षेत्र में बहुत अच्छा उत्पादन हुआ है, ग्रीष्मकालीन बुवाई भी पिछली बार से 21 प्रतिशत अधिक हुई है।80.46 लाख हेक्टेयर में गर्मी की फसल बोई गई है।किसान सब-कुछ करने को तत्परहै, वहीं सरकारउन्हें फसलोपरांतनुकसान से बचाने, प्रोसेसिंग सुविधाएं देने, इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने, देश-विदेश में कृषि उपज की अच्छी कीमत पर बिक्री में सफलता दिलाने के लिए कृत संकल्पित है और बागवानी कलस्टर विकास कार्यक्रमभी इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। हमारे किसान भाई-बहन निश्चित रूप से समेकित खेती की ओर अग्रसर होंगे। क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से भी निपटा जा सकेगा।कोरोना संकट से भारत उबर ही जाएगा, हमारे गांव-किसान-कृषि की ताकत बड़ी से बड़ी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश को उबारने में सक्षम है।
श्री तोमर ने कहा कि कोविड के दौरान कृषि क्षेत्र ने आपदा को अवसर में बदलते हुए खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। प्रधानमंत्री जी ने भी इसी बात पर बल दिया है। अब हमारी कार्यशैली में बदलाव आया है, लोगों को प्रकृति के ज्यादा करीब आने का अवसर मिला है और खान-पान में हर्बल एवं औषधीय फसलों का उपयोग बढ़ा है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने व बढ़ाने के लिए औषधीय फसल- हल्दी, तुलसी, अदरक, गिलोय, लौंग, कालीमिर्च, दालचीनी आदि का उपयोग एवं मांग बढ़ी है। ऐसे में बागवानी क्षेत्र में अवसर और बढ़ गए हैं। औषधीय खेती हमारे देश की बड़ी ताकत है, जिसके हम बड़े उत्पादक भी परंपरागत तरीके से है।कलस्टरों के माध्यम से हर्बल खेती की तरफ भी प्रवृत होंगे, जिससे घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के साथ ही निर्यात में भी योगदान होगा, किसानों की आय बढ़ेगी।
कृषिराज्यमंत्रीश्रीपरषोत्तमरूपालाकृषिसचिवश्रीसंजयअग्रवालनेभीसंबोधितकिया।कृषिमंत्रालयकेअपरसचिवडा. अभिलाक्षलिखी,संयुक्तसचिव-बोर्डकेएमडीश्रीराजबीरसिंह, एपीडावकलस्टर राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं राज्य बागवानी मिशनों के अधिकारीभी शामिलहुए।
कलस्टरों की जानकारी- प्रायोगिक चरण के कलस्टरों में सेब के लिए शोपियां (जम्मू व कश्मीर) व किन्नौर (हिमाचल प्रदेश), आम के लिए लखनऊ (उत्तर प्रदेश), कच्छ (गुजरात) एवं महबूबनगर (तेलंगाना), केला के लिए अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) एवं थेनी (तमिलनाडु), अंगूरों के लिए नासिक (महाराष्ट्र), अनानास के लिए सिफाहीजाला (त्रिपुरा), अनार के लिए शोलापुर (महाराष्ट्र) एवं चित्रदुर्ग (कर्नाटक) और हल्दी के लिए वेस्ट जयंतिया हिल्स (मेघालय) को शामिल किया गया है। इन्हें कलस्टर विकास एजेंसियों (सीडीए) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जिन्हें संबंधित राज्य/केंद्र शासित सरकार की सिफारिशों पर नियुक्त किया गया है।
इस कार्यक्रम के लिए सरकार की अन्य योजनाओं जैसे कृषि अवसंरचना निधि जोकि फसल-कटाई उपरांत प्रबंधन अवसंरचना और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घावधि की वित्तपोषण सुविधा है,काभीलाभलियाजासकताहै। इस कार्यक्रम को मंत्रालय की केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘’10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ.) को तैयार करना और बढ़ावा देना’’ का भी लाभ मिलेगा। कलस्टर विकास कार्यक्रम केमाध्यमसे बागवानी उत्पादों के कुशलतापूर्वक एवं समयानुसार निकासी व परिवहन के लिए मल्टीमाडल परिवहन के प्रयोग के साथ आखिरी सिरे तक संपर्क स्थापित करते हुए इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करते हुए सम्पूर्ण बागवानी पारितंत्र (इकोसिस्टम) को बदलने का भीउद्देश्यहै। यह कार्यक्रम भौगोलिक विशेषता का लाभ उठाने और बागवानी कलस्टरों के एकीकृत तथा बाज़ार कीमांगअनुसार बागवानी को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। कलस्टर आधारित पद्धति से बागवानी वैल्यू चेन में छोटे आकार की भूमि वाले किसानों, उत्पादन, फसल-कटाई उपरांत प्रबंधन व लॉजिस्टिक्स, विपणन और ब्रांडिंग में मूल्य संवर्धन की चिंताओं का घरेलू व निर्यात बाज़ार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने हेतु एकीकृत तरीके से समाधान किया जाएगा।
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