समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10जून। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओवरआर्चिंग कमेटी द्वारा दी गई सिफारिशों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इन सिफारिशों के लागू होने से सीएसआईआर 21वीं सदी के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी संगठन बन जाएगा।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नेतृत्व में एक समावेशी और सतत विकास के सपने को साकार करने में वैज्ञानिक बिरादरी की बौद्धिक पूंजी, उत्कृष्टता और समर्पण का उपयोग करने पर केंद्रित है। गौरतलब है कि पिछले सात वर्षों में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ अनुसंधान एवं विकास का अधिक तालमेल रहा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने सुझाव दिया कि उद्योग और शिक्षा जगत के साथ अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाने के लिए ‘लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग’ की अवधारणा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। युवा वैज्ञानिकों को आकर्षित करने के लिए ‘जिज्ञासा’ की तर्ज पर एकदम अलग सोच रखने की जरूरत है। उत्साही और नए शोध के लिए उत्सुक युवा पीढ़ी की भागीदारी से महान विचारों और आविष्कारों का जन्म होता है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार आम लोगों के लाभ के लिए नई पहल करने के रूप में कई स्टार्ट-अप्स को मदद कर रही है।
डॉ. हर्षवर्धन ने सलाह दी कि मौजूदा प्रयोगशालाओं में उपलब्ध उच्च श्रेणी के बुनियादी ढांचे के साथ, आम लोगों की दिन-प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने वाले विषयों पर शोध की संभावनाओं का पता लगाया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि विकसित प्रौद्योगिकियों और आम लोगों को सस्ती कीमतों पर इनके लाभ उपलब्ध कराने के बीच की खाई को पाटने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने आग्रह किया कि वैज्ञानिक बिरादरी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश की समस्याओं को हल करने पर ध्यान देना चाहिए। इस लक्ष्य को सही दृष्टिकोण और योजना से हासिल किया जा सकता है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि 2022 में भारत स्वतंत्रता का 75वां वर्ष मनाएगा और देश के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप वैज्ञानिक समुदाय को नए भारत के सपने को प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीएसआईआर में ‘नए सीएसआईआर’ के रूप में उभरने की क्षमता है जो 21वीं सदी के लिए पूरी तरह तैयार, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन कर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से आम आदमी की समस्याओं को कम करने में योगदान दे रहा है।
डॉ. शेखर सी. मंडे, सचिव डीएसआईआर और महानिदेशक, सीएसआईआर ने आश्वासन दिया कि सीएसआईआर ओवरआर्चिंग कमेटी द्वारा की गई सिफारिशों को समयबद्ध तरीके से लागू करेगा ताकि यह संस्था भारतीय उद्योग को अपनी तकनीकी मदद में बढ़ोतरी कर सके और देश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ इनोवेशन में वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाया जा सके।
सीएसआईआर के पुन: उन्मुखीकरण के लिए प्रोफेसर विजय राघवन समिति का गठन किया गया था जिसका लक्ष्य भारतीय उद्योग को बिना किसी रुकावट के तकनीकी सहायता प्रदान था। प्रो. के. विजय राघवन समिति की रिपोर्ट को लागू करने के लिए श्री एस. रामादुरई, पूर्व सीईओ और एमडी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की अध्यक्षता में एक ओवरआर्चिंग कमेटी का गठन किया गया था जिसमें आठ क्षेत्रवार सब-कमेटी भी शामिल थीं। इस कमेटी के अन्य सदस्यों में डॉ. विलास सिंकर, डॉ. संगीता रेड्डी, सुश्री निवृति राय, डॉ. विजय पी. भटकर, डॉ. वी. सुमंत्रन, प्रो. ऋषिकेश कृष्णन, श्री संजीव सान्याल और डॉ. राज हिरवानी शामिल हैं जो अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं।
Comments are closed.