समग्र समाचार सेवा
काठमांडू, 14जुलाई। उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा मंगलवार को आधिकारिक तौर पर पांचवीं बार देश के प्रधानमंत्री बने। यहां आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 75 वर्षीय वरिष्ठ राजनीतिक नेता को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि देउबा को संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाना चाहिए।
नेपाल के रिकॉर्ड पांचवीं बार प्रधानमंत्री बने शेर बहादुर देउबा का तात्कालिक कार्य देश में राजनीतिक संकट को समाप्त कर स्थिरता लाना है. संवैधानिक प्रावधान के तहत प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के बाद 75 वर्षीय देउबा को 30 दिनों के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा
बता दें कि नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष लंबे समय से बात कर रहा था। यहां तक कि नेपाली जनता भी सरकार के खिलाफ कोरोना समेत कई मोर्चों पर नाकामयाबी की सड़कों पर उतरकर आलोचना कर रही थी। इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के दखल के बाद शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
बता दें कि शेर बहादुर देउबा का जन्म 13 जून 1946 को हुआ था। उन्होंने स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। साल 1965 से 1968 तक उन्होंने सुदूर-पश्चिमी छात्र समिति, काठमांडू के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1960 और 1970 के दशक में कई बार जेल गए।
शेर बहादुर देउबा ने कला और कानून में स्नातक की डिग्री और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री ले रखी है। उन्हें नवंबर 2016 में भारत की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
देउबा इससे पहले चार बार- पहली दफा सितंबर 1995- मार्च 1997, दूसरी बार जुलाई 2001- अक्टूबर 2002, तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक- प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
शिक्षा की बात करें तो देउबा ने कला के बाद कानून और राजनीति विज्ञान में भी मास्टर्स डिग्री ली ताकि उसका लाभ उन्हें राजनीति में अपरोक्ष तौर पर मिल सके. वे नेपाल के ज्यादातर नेताओं की तुलना में काफी पढ़े-लिखे और जानकार माने जाते हैं. भारत से भी उनके अच्छे संबंध रहे और साल 2016 में देउबा को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली।
लंबे समय से नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे देउबा आज तक हर चुनाव जीतते रहे हैं. बता दें कि नब्बे की शुरुआत में देउबा को प्रतिनिधि सभा के लिए चुना गया. इसके बाद से वे कभी नहीं हारे. वे गिरिजा प्रसाद कोइराला की सरकार में गृह मंत्री भी रहे।
देउबा ने अब नेपाल के 40वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी लेकिन वे पहली बार नहीं, बल्कि पांचवी बार देश के पीएम बने हैं. सबसे पहले साल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने ही उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. तब भी नेपाल खासी राजनैतिक उथलपुथल का शिकार था और संसद भंग करने की कोशिश हो रही थी.पहली बार 1995 से 1997 तक पीएम रहने के बाद वे दोबारा साल 2001 में लौटे, जब वे एक साल ही पीएम रह सके. तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक देउबा नेपाल के पीएम रहे. अब शपथ ग्रहण के बाद देउबा को 30 दिनों के अंदर उन्हें सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा. लेकिन माना जा रहा है कि ओली के कारण मची अस्थिरता के कारण देउबा के लिए ये मुश्किल काम नहीं होगा।
कैसा है भारत से रिश्ता
अब सवाल है कि पड़ोसी देश में इस सत्ता परिवर्तन का भारत पर क्या असर होगा? शेर बहादुर देउबा भारत के समर्थक माने जाते हैं. जून 2017 में प्रधानमंत्री बनने के 2 महीने बाद ही, अगस्त में उन्होंने भारत की यात्रा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. देउबा भारत के साथ आर्थिक रिश्ते मजबूत करने के पक्षधर हैं.
अब केपी ओली ने पिछले कुछ सालों में भारत को लेकर जो फैसले लिए थे, उनसे नेपाल और भारत के रिश्तों में कहीं न कहीं एक दरार आई थी. लेकिन देउबा का आना इस दरार को भरने का काम कर सकता है.
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