चैतन्य भट्ट
मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार बहुत जल्दी “लॉटरी” और “जुआघर” खोलने की परंमीशन देने वाली है l इधर अख़बारों में ये खबर आई नहीं कि कांग्रेसियों ने विरोध शुरू कर दिया, उनका आरोप है कि जुआ और लॉटरी लोगों को बर्बाद कर देंगे वे ये भूल गए कि जब उनके नेता दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब खजुराहो में “कैसीनो” यानि जुआघर खोलने की कवायद शुरू हुई थी, उस समय बीजेपी वालों ने बबंडर खड़ा कर दिया था अब वो ही जुआघर खोलने और लॉटरी चलाने की बात कर रही है तो कांग्रेस का विरोध करना तो उसका धर्म बनता ही है, वैसे अपना सोचना है कि हर आदमी दुनिया में जब आता है तो हर बार अपने अपने मुकद्दर से कुछ न कुछ पाता है, कोई मुकद्दर के दम पर अरबपति बन जाता है तो किसी का मुकद्दर इतना ख़राब रहता है कि वो सड़कों पर भीख मांगने लगता है, लेकिन इंसान अपनी किस्मत जरूर आजमाता है और यदि बीजेपी सरकार लॉटरी और जुआघर खोल कर प्रदेश के आठ करोड़ लोगों को अपना अपना भाग्य आजमाने की “फेसिलिटी” दे रही है तो इसमें बुराई क्या है l अपने को “सुन्दर लाल पटवा जी” का शासन काल अच्छी तरह से याद है जब प्रदेश में सरकारी लॉटरी चला करती थी l ऐसा “प्रेम भाव” और “भाई चारा” पूरे प्रदेश में फ़ैल गया था जिसे देखो एक दूसरे के गले में बांहे डाले सिर्फ और सिर्फ लॉटरी के नंबरों की बात करता था, जितने लुच्चे लफंगें, बेरोजगार थे वे सब एक तख्ती में लॉटरी के टिकिट लटका कर “लुच्चोहिं”, “गुण्डोंहीं” छोड़कर अपने रोजगार में लग गए थे, न कोई किसी से झगड़ा करता था न कोई विवाद होता था , तीन बजे जब लॉटरी का नंबर आता था आफिस के आफिस खाली होकर लॉटरी की दुकान के पास पंहुच जाते थे, अपराध तो जैसे ख़तम ही हो गए थे, घर का हर मेंबर अपनी जेब में लॉटरी का टिकिट लेकर घूमता था कि पता नहीं किस सदस्य की किस्मत चमक जाए l रही बात जुआ घर की तो जुए का इतिहास यो बहुत पुराना है, राजा महाराजा भी जुआ खेला करते थे “महाभारत” तो हुई ही थी जुए के चक्कर में l ज्योतिषी तो बतलाते है कि “स्वर्णकर्षण गुटका” का प्रयोग लॉटरी जीतने में किया जाता है उसे पहले सिद्ध करना पड़ा है और इक्कीस दिन बाद ये गुटका लॉटरी का नंबर सेट कर देता है, इधर “लाजवंती” यानि “छुई मुई” का जो पौधा होता है उसका प्रयोग ज्योतिष की किताबों में जुआ जीतने में किया जाना बताया गया है “छुई मुई” की टहनी तोड़कर उसे सिद्ध करके अपने पास रख लो और निकल जाओ केसिनों में, वापस लौटने में जेब नोटों से भरी न हो तो कहना l कहते है एक मन्त्र भी है जो जुआ और लॉटरी जीतने के उपयोग में आता है “ॐ नमो वीर बैताल आकस्मिक धन देहि देहि मनः” “शाबर मन्त्र” का भी उपयोग लोग बाग़ करते हैं जब इतिहास में, पुराणों में जुए का उल्लेख है तो फिर बीजपी ने इसकी शुरुआत करने की ठान ली तो इसमें बुराई क्या है, कम से कम लोगो का ध्यान “बेरोजगारी” “पेट्रोल डीजल” के बढे दामों “मंहगाई” “”रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से तो हटा रहेगा ये क्या कम है l
अफसर तो अफसर हैं
मध्य प्रदेश के मंत्री ओम प्रकाश सकलेचा साफ़ बात करते हैं l कुछ दिन पहले उन्होंने अपनी ही पार्टी के दो विधायकों अजय विश्नोई और नारायण त्रिपाठी को ” नाराज बहुएं ” बतला दिया था अब उन्होंने एक और पोल खोल दी हैl एक कार्यक्रम में उन्होंने साफ़ साफ़ कह दिया कि देखो भैया आप हमें कितना ही पावरफुल समझो लेकिन आज भी अस्सी फीसदी सरकार “ब्यूरोक्रेसी” यानि नौकरशाही के दम पर चलती है, आप मना करो, शिकायत करो, या जो मर्जी करो उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, बात तो बड़े ही मार्के की कही है नेताजी ने, अफसर तो अफसर ही होता है आप लोगों का क्या हैं आज आये हो पांच साल में निकल जाओगे और पांच साल का भी कोई भरोसा नहीं है, कोई बड़ा नेता पार्टी से हो नाराज हो गया और अपने साथियों सहित दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली तो पंदह महीने में ही घर से बेघर हो जाओगे पर अफसर को तो तीस पैंतीस साल तक राज करना है , उसको ही नियम बनाने हैं उसको ही “नोट शीट” पुटअप करनी हैं उसी को काम में रोड़ा अटकाना है और उसी को उस रोड़े का तोड़ भी निकालना है, अब जो इतना महान हैं जिसके पास इतनी तिकड़में हों तो सरकार तो वो ही चलाएगा न, इसमें इतने आश्चर्य की क्या बात है, इधर कमलनाथ ने कह दिया कि अफसर बीजेपी का बिल्ला जेब में रखकर न घूमें l हुजूरे आला जब आपकी सरकार थी तो अफसर आपका बिल्ला लेकर घूमते थे अब उनकी सरकार है तो बिल्ला तो बदलना ही पड़ेगा और इसमें वे सिध्ह्हस्त होते है “तोता” भी इतनी जल्दी अपनी गर्दन नहीं नटेरता है जितनी जल्दी ये अफसर अपनी निगाहें इधर से उधर कर लेते हैं इसलिए लोग बाग़ कहते है की भैया नेताओं की बजाय अफसरों से सम्बन्ध बनाओ इनका तो कोई भरोसा हैं नहीं कब गद्दी से उतर जाएं ,अफसरों से सेटिंग रहेगी तो आजीवन काम चलता रहेगा l अपने को तो लगता है कि सकलेचा जी को उनके ही विभाग के किसी अफसर ने अलसेट दे दी है l
सुपर हिट ऑफ़ द वीक
“सुनो जी न्यूटन का नियम क्या था” श्रीमती जी ने श्रीमान जी से पूछा
“पूरी लाइनें तो याद नहीं है लास्ट का याद है” श्रीमान जी ने कहा
“चलो लास्ट का ही बतला दो”
“और इसे ही न्यूटन का नियम कहते हैं” श्रीमान जी ने बतला दिया
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