समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति ने निर्णय लिया है कि नवगठित कॉलेजों और केंद्रों का नाम विनायक दामोदर सावरकर और दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज के नाम पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद में लिया गया है>
सूत्रों ने कहा कि परिषद ने तीन सदस्यों सीमा दास, राजपाल सिंह पवार और अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के साथ असहमति के बावजूद चुनाव में प्रस्तावित बदलाव और सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति को मंजूरी दी।
जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की अगस्त में हुई बैठक में इन कॉलेजों/केंद्रों का नाम सुषमा स्वराज, स्वामी विवेकानंद, वीडी सावरकर और सरदार पटेल के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि परिषद ने अटल बिहारी वाजपेयी, सावित्री बाई फुले, अरुण जेटली, चौधरी ब्रह्म प्रकाश और सीडी देशमुख के नामों का सुझाव दिया था। परिषद ने नामों पर अंतिम निर्णय लेने के लिए कुलपति को अधिकृत किया था।
परिषद ने सहायक प्रोफेसरों की स्क्रीनिंग और नियुक्ति में बदलाव का प्रस्ताव भी पारित किया है, जबकि तीन सदस्य दास, पवार और अग्रवाल इससे असहमत थे। प्रस्ताव में साक्षात्कार में उपस्थित होने के लिए उम्मीदवारों की संख्या को सीमित करने की मांग की गई, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। कॉलेज में उम्मीदवारों की संख्या की कोई सीमा नहीं होगी। जबकि विश्वविद्यालय के विभागों में पहली रिक्ति के लिए कम से कम 30 उम्मीदवारों को बुलाया जाएगा और अतिरिक्त रिक्ति के लिए 10 उम्मीदवारों को बुलाया जाएगा।
सदस्यों ने सहायक प्रोफेसर के चयन में पीएचडी के महत्व पर असंतोष व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि पीएचडी के बिना कई संविदा शिक्षकों को भुगतना पड़ेगा। इन सदस्यों ने शिक्षा मंत्रालय के पत्र दिनांक 5 दिसंबर 2019 को लागू करने की मांग की थी। पत्र में कहा गया है, “अल्पकालिक, अस्थायी या अनुबंध के आधार पर नियुक्त और काम करने वाले और मानदंडों को पूरा करने वाले संकाय को संबंधित विश्वविद्यालयों या उसके कॉलेजों में साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाएगा।”
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