रक्षा सेवा प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने ‘राष्ट्र निर्माण में भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका’ पर डाला प्रकाश
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 नवंबर। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर कल 31 अक्टूबर, 2021 को भारत के प्रथम रक्षा सेवा प्रमुख जनरल बिपिन रावत पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, एडीसी ने प्रसार भारती के समारोह के हिस्से के रूप में आकाशवाणी का प्रतिष्ठित सरदार पटेल मेमोरियल व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने ‘राष्ट्र निर्माण में भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका’ पर अपने विचार व्यक्त किए।
जनरल बिपिन रावत ने बताया कि हमारा राष्ट्र अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं, 200 से अधिक बोलियों, एक दर्जन जातीय समूहों, कई संप्रदायों और उप-संप्रदायों वाले सात धार्मिक समुदायों तथा 68 सामाजिक-सांस्कृतिक उप-क्षेत्रों, कई संस्कृतियों का एक आकर्षक और जटिल सम्मिश्रण है। उन्होंने एक ऐसे भारतीय राष्ट्र की परिकल्पना में सरदार पटेल की भूमिका पर जोर दिया जो विविधता में एकजुट है, एक ऐसी शक्ति के रूप में उभरने के लिए समर्पित और संकल्पित है और अपनी आंतरिक शक्ति से किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम है।
जनरल रावत ने कहा कि सुरक्षा, न्याय, आर्थिक विकास और लोकतांत्रिक राजनीति को राष्ट्र निर्माण के स्तंभों के रूप में माना जा सकता है। जनरल रावत ने चाणक्य के युग से प्रचलित रणनीति को विवेकपूर्ण ढंग से लागू करते हुए रियासतों के साथ आम सहमति बनाने में सरदार पटेल के अथक प्रयासों को महत्वपूर्ण बताया।
जनरल रावत ने कहा कि भगवद् गीता के अनुसार, जो कहती है, “अपना कर्तव्य मानते हुए, आपको उसका त्याग नहीं करना चाहिए”, भारतीय सैन्य अकादमी के सभी कैडेट, अपने प्रशिक्षण के समापन से पहले, सत्यनिष्ठा की प्रतिज्ञा करते हैं, जो इस बात पर जोर देती है कि राष्ट्र की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण सर्वोपरि है, उसके बाद कमान के तहत लोगों का सम्मान, कल्याण और आराम का स्थान है, जबकि व्यक्तिगत सुख, आराम और सुरक्षा का स्थान हमेशा सबसे अंतिम होता है।
जनरल रावत ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता, अनुशासन, अखंडता, वफादारी, कोर भावना के साथ-साथ नई अवधारणा में संवैधानिक रूप से चुनी गई सरकार के प्रति निष्ठा को शामिल करने से राष्ट्र की राजनीतिक स्थिरता में भारतीय सशस्त्र बलों का योगदान बढ़ा है। मानव निर्मित या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सशस्त्र बलों द्वारा उपलब्ध कराई गई सहायता और राहत कार्य में बीआरओ (सीमा सड़क संगठन), एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर) का प्रशंसनीय योगदान राष्ट्र के लिए इसकी समर्पित सेवा के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
जनरल रावत ने कहा कि दुर्गम क्षेत्रों में छावनियों और सैन्य स्टेशनों के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की तैनाती ने विकास परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है। 50 के दशक के मध्य से अब तक संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारतीय सशस्त्र बलों का योगदान और वर्तमान दुनिया में भारत द्वारा दिया गया रक्षा सहयोग एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयास के रूप में उभरा है।
भारत के रक्षा सेवा प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर-2021 का समापन यह दोहराते हुए किया कि भारतीय सशस्त्र बलों के बलिदान, वफादारी और अनुशासन के गुणों के कारण विविधता में भारत की एकता कायम रहेगी।
“भारत के लौह पुरुष” के रूप में विख्यात सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में आकाशवाणी द्वारा 1955 से एक वार्षिक कार्यक्रम के तौर पर सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया जाता है। नवजात राष्ट्र को एकीकृत करने वाली मुख्य ताकतों में से एक और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक अभिन्न अंग, सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के प्रथम सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी थे।
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