समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 दिसंबर। भारतीय सेना की लड़ाकू वर्दी बदल रही है और इसका पहला रूप 15 जनवरी को सेना दिवस परेड में देखा जाएगा। पहली बार सेना दिवस परेड में मार्चिंग दस्ते वर्दी के अनुसार होंगे। और अलग-अलग समय पर भारतीय सेना के हथियार। इसी तरह पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने वाले सेना के दस्ते अलग-अलग राउंड की वर्दी के हिसाब से होंगे.
अब तक सेना दिवस परेड और गणतंत्र दिवस परेड में सेना के मार्चिंग दस्तों को अलग-अलग रेजीमेंट के हिसाब से बांटा जाता था. लेकिन पहली बार ये अलग-अलग जमाने की वर्दी के हिसाब से होगा.
सूत्रों के अनुसार एक मार्चिंग दस्ता आजादी से पहले की सेना की वर्दी और उस समय के हथियारों के साथ होगा। इसी तरह 1962 की वर्दी में एक दस्ता, 1971 की वर्दी के बाद एक दस्ता, 90 के दशक की वर्दी में एक दस्ता, सेना की मौजूदा वर्दी में एक दस्ता मार्च करेगा। सेना की नई लड़ाकू वर्दी में एक दस्ता होगा।
भारतीय सेना की नई लड़ाकू वर्दी का डिजिटल पैटर्न है। सूत्रों के अनुसार वर्दी में छलावरण (एक रंग और पैटर्न जो दिखाई नहीं देता और छिपाने में मदद करता है) काफी बेहतर है।
अमेरिका समेत कई देशों की सेना डिजिटल पैटर्न का इस्तेमाल करती है। मौजूदा यूनिफॉर्म में शर्ट को पैंट के अंदर डाला जाता है और बेल्ट को बाहर की तरफ लगाया जाता है। नई यूनिफॉर्म में बेल्ट अंदर और शर्ट बाहर होगी। सेना के अधिकारी के मुताबिक इससे काम आसान हो जाएगा। कपड़ों में भी कुछ बदलाव किए गए हैं।
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