समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24जनवरी। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 जनवरी को खत्म हुए हफ्ते में 2.229 अरब डॉलर बढ़कर 634.965 अरब डॉलर हो गया है. भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले सात जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 87.8 करोड़ डॉलर घटकर 632.736 अरब डॉलर हो गया था. जबकि तीन सितंबर, 2021 को खत्म हफ्ते में यह रिकॉर्ड 642.453 के उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 14 जनवरी को खत्म हुए समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल आने की वजह कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) और स्वर्ण आरक्षित भंडार में वृद्धि है.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह के दौरान एफसीए 1.345 अरब डॉलर बढ़कर 570.737 अरब डॉलर हो गया है. डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट -बढ़ को भी शामिल किया जाता है.
इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 27.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 39.77 अरब डॉलर हो गया. आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास विशेष आहरण अधिकार 12.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 19.22 अरब डॉलर हो गया है.
अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार भी 3.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.238 अरब डॉलर हो गया है.
आपको बता दें कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार की इस साल कड़ी परीक्षा होने वाली है. भारत को 256 बिलियन डॉलर के ओवरसीज डेट का रीपेमेंट करना है. इधर अमेरिकी फेडरल रिजर्व मॉनिटरी पॉलिसी को टाइट करने की तैयारी में है. इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने से डॉलर का पतन तेज हो जाएगा. सितंबर में फाइनेंस मिनिस्ट्री की तरफ से जो डेटा जारी किया गया था उसके मुताबिक, अगले 12 महीनों में 256 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज मैच्योर हो रहा है. सितंबर 2021 में टोटल विदेशी कर्ज 596 बिलियन डॉलर था.
रिजर्व बैंक के मॉनिटरी पॉलिसी की बात करें तो आने वाले समय में RBI की तरफ से मुद्रा की रक्षा के बजाय अपने हस्तक्षेप को कम करने की संभावना ज्यादा है. अमेरिका में महंगाई दर 39 सालों के उच्चतम स्तर पर है. ऐसे में फेडरल रिजर्व समय से पहले इंट्रेस्ट रेट बढ़ा सकता है. अगर ऐसा होता है तो भारत जैसे देशों से डॉलर का पतन होगा और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ेगा. दुनिया के विकसित देश जैसे-जैसे इंट्रेस्ट रेट बढ़ाएंगे, भारत जैसी इमर्जिंग इकोनॉमी से डॉलर आउटफ्लो बढ़ेगा.
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