समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24मई। भारत, अमेरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के 13 देशों ने मंगलवार को निवेश प्रोत्साहन और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि हासिल करने के नजरिये से मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार की प्रतिबद्धता जताई।
हिंद-प्रशांत देशों की तरफ से जारी एक संयुक्त बयान के मुताबिक, सभी देश इसपर भी सहमत हुए हैं कि साझा हितों पर साझेदारों के बीच सलाह-मशविरे पर आधारित सहयोग के नए क्षेत्रों की भी पहचान की जाएगी।
सोमवार को इन देशों ने ‘समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा’ (आईपीईएफ) की घोषणा की थी। इस समूह में भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुसलाम, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपीन, सिंगापुर, थाइलैंड, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं।
भागीदार देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान के मुताबिक, सभी देश अपनी चमकदार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था की विविधता एवं समृद्धि को स्वीकार करते हैं। इसमें कहा गया, ‘‘हम एक स्वतंत्र, मुक्त, निष्पक्ष, समावेशी, अंतर्संबद्ध, जुझारू, सुरक्षित एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए साझा रूप से प्रतिबद्ध हैं। इस क्षेत्र में टिकाऊ एवं समावेशी आर्थिक वृद्धि को हासिल करने की क्षमता है।’’
सदस्य देशों ने कहा कि इस क्षेत्र में आर्थिक नीति के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और वृद्धि, शांति एवं समृद्धि के लिए आर्थिक संपर्क को मजबूत बनाना महत्वपूर्ण है।
बयान में कहा गया कि दीर्घावधि में आर्थिक प्रतिस्पर्धी की स्थिति काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, नवाचार को प्रोत्साहन, डिजिटल अर्थव्यवस्था में भागीदारी, ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने और जलवायु संकट से निपट पाने की कितनी काबिलियत देशों में है।
बयान में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों से भी इस पहल का हिस्सा बनने का आह्वान करते हुए कहा गया है कि व्यापार, आपूर्ति शृंखला, सस्ती ऊर्जा, कार्बन-मुक्ति एवं ढांचागत क्षेत्र के अलावा कर एवं भ्रष्टाचार-रोधी मुद्दों पर बातचीत का दौर शुरू किया जा रहा है।
जहां तक व्यापार का सवाल है तो सदस्य देश उच्च मानक वाले समावेशी, मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार प्रतिबद्धताएं जताने के साथ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी नीति में नया एवं रचनात्मक नजरिया अपनाएंगे। इससे आर्थिक गतिविधियों एवं निवेश को बढ़ावा मिलने के अलावा टिकाऊ एवं समावेशी आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा और श्रमिक एवं उपभोक्ता भी लाभान्वित होंगे।
बयान में सदस्य देशों के नेताओं ने पारदर्शिता, विविधता, सुरक्षा और आपूर्ति शृंखलाओं को टिकाऊ बनाने की प्रतिबद्धता भी जताई है ताकि इसे अधिक मजबूत एवं सुसंबद्ध बनाया जा सके।
बयान में असरदार एवं मजबूत कर और धनशोधन व्यवस्थाएं बनाने और उन्हें लागू करने का प्रस्ताव भी रखा गया है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कर चोरी पर लगाम लगाने और भ्रष्टाचार पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा पेरिस समझौते के लक्ष्यों एवं प्रयासों से तालमेल बैठाते हुए इस बयान में विकास गतिविधियों को जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों के अनुरूप रखने की प्रतिबद्धता भी जताई गई है।
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