समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9जून। आज दोपहर तीन बजे चुनाव आयोग द्वारा सीईसी श्री राजीव कुमार चुनाव आयोग श्री अनूप चंद्र पांडे के साथ भारत के राष्ट्रपति के कार्यालय, 2022 ने चुनाव की तारीखों की घोषणा की. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगी और मतगणना 21 जुलाई को होगी.
चुनाव आयुक्त ने बताया कैसे होगा चुनाव
निर्वाचक को केवल नामित अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए एक विशेष पेन से उम्मीदवारों के नामों के सामने वरीयताएँ अंकित करनी होती हैं.
निर्दिष्ट दिनों में प्रातः 11 बजे से अपराह्न 3 बजे के बीच अभ्यर्थी द्वारा स्वयं या उसके किसी प्रस्तावक या समर्थक द्वारा नामांकन दाखिल किया जा सकता है. चुनावी प्रक्रिया के सभी चरणों में सभी संबंधित कोविड -19 सुरक्षा उपायों और प्रोटोकॉल को लागू किया जाएगा.
बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और नए राष्ट्रपति को 25 जुलाई तक शपथ ले लेना है. इससे पहले साल 2017 में 17 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ था. लोक सभा, राज्य सभा और विधान सभा के सदस्य मिल कर राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचन मंडल बनाते हैं और फिर चुनाव संपन्न होता है.
कैसे होती है राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग
संविधान के अनुच्छेद 62 का संदर्भ देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए चुनाव उससे पहले संपन्न होना चाहिए. राष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के अलावा सभी राज्य के विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ शासित प्रदेश पुडुचेरी के विधानसभा के सदस्य वोट डाल सकते हैं.
776 सांसद और विधान सभा के 4120 विधायकों से निर्वाचन मंडल बनता है. कुल मूल्य 10,98,803 है. अपने उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए एनडीए को बीजेडी और वायएसरआरसी के समर्थन की आवश्यकता होगी.
कैसे चुनते हैं राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार
इस चुनाव में देश की जनता प्रत्यक्ष रूप से मतदान नहीं करती. जनता के द्वारा चुने गए सांसद और विधायक भी इस चुनाव में भाग लेते हैं. इन चुनावों में राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद और विधायकों को वोट देने का अधिकार होता है. हालांकि, विधान पार्षदों और नामित व्यक्तियों को वोट करने का अधिकार नहीं होता.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करते वक्त विधायक और सांसद अपने बैलेट पेपर पर अपना चुनाव करते हैं और इसमें वो अपनी पहली पसंद, दूसरी पसंद और तीसरी पसंद बता देते हैं. सबसे पहले पहली पसंद के वोट गिने जाते हैं. अगर पहली पसंद का उम्मीदवार जीत के लिए जरूरी वेटेज हासिल कर लेता है तो उसकी जीत हो जाती है वहीं अगर ऐसा नहीं होता तो दूसरी और फिर तीसरी पसंद के वोटों को गिना जाता है.
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