राष्ट्रप्रथम- आत्मनिर्भर बनते भारत पर वक्र दृष्टि

पार्थसारथि थपलियाल
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रामचरितमानस में धनुषयज्ञ प्रकरण में धनुष टूट जाने के बाद परशुराम राजा जनक के दरबार मे पहुंच जाते हैं जहां सीता स्वयंवर आयोजित था। शिवजी के खंडित धनुष देखते ही परशुराम जब क्रोधाग्नि में आ गए। बोले- यह धनुष किसने तोड़ा है? इस कथन पर लक्ष्मण मुस्कुराते हुए बोले-
बहु धनु तोरीं हम लरकाई।
कबहुँ न असि रिस कीन्ही गोसाई।।
ऋषिवर! लड़कपन में हमने बहुत से धनुष तोड़े हैं लेकिन ऐसा गुस्सा तो पहले कभी नही किया। ऐसा अब क्या हो गया? स्वाभिमान तो सभी का होता है। जब बामियान में भगवान बुद्ध की पाषाण प्रतिमा को तोड़ा जा रहा था तब किसी को ये दर्द नही हुआ कि किसी की आस्था पर प्रहार करना उचित नही। महाभारत में एक रोचक प्रसंग है – कुरुक्षेत्र के मैदान में जिस दिन अर्जुन और कर्ण के मध्य युद्ध हो रहा था उस दिन एक ऐसा भी समय आया जब युध्द करते करते कर्ण के रथ का पहिया रेत में धंस गया। कर्ण ने रथ से नीचे उतर कर रथ को रेत से उठाने का प्रयास किया उसी समय अर्जुन ने बाणों की बौछार कर दी। कर्ण ने अर्जुन को रोकना चाहा, और कहा, अर्जुन अभी रुको, मैं निहत्था हूँ, नैतिकता यह है कि निहत्थे योद्धा पर प्रहार नही किया जाता। तब अर्जुन ने तपाक से उत्तर दिया कि जब निहत्थे युवा अभिमन्यु को चक्रव्यूह में 7 महारथियों ने घेर कर मारा था तब वह नैतिकता कहाँ चली गई थी?
वर्तमान में एक टी वी डिबेट के जिस कथन पर हंगामा मचाया जा रहा है उस पर अनेक मुस्लिम विद्वानों के वीडियो सोशल मीडिया में हैं, तब तो किसी ने कुछ नही कहा। भारत मे एक विघ्नसंतोषी विचारधारा भी है इसमें वामपंथी विचारधारा के सभी वर्ग, साम्यवादी, माओवादी, नक्सलवादी, पत्रकारिता के नाम पर दलाली करनेवाले लोग, राजनीति का छद्म आवरण ओढ़े गिद्ध प्रवृति के लोग, अराजक तत्व, तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और लिबरल जमात और भारतीयता के कट्टर दुश्मन आदि सभी शामिल हैं। जिस दौर में भारत दुनिया को अपना स्वरूप दिख रहा है, दुनिया भारत को देख रही है और भारत की मान रही है उस दौर में भारत को कमजोर करने वाली ताकतों को ध्यान रखना होगा कि भारत जाग चुका है। आज दुनिया उसकी सुनती है जिसके पास शक्ति है।
शक्ति का मूलमंत्र है आत्मनिर्भर भारत। इसे भारत सरकार ने सन 2020 में एक लक्ष्य की तरह लिया। आत्मनिर्भर भारत अभियान के पाँच स्तम्भ – अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढाँचा, प्रौद्योगिकी, जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) और माँग। जिस देश में प्रतिवर्ष ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के बराबर जनसंख्या बढ़ती हो उस देश में प्रतिवर्ष एक करोड़ बीस लाख रोजगार के सरकारी अवसर कोई सरकार नही दे सकती है। पिछले 75 वर्षों में देश आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हुआ है। दुग्ध का क्षेत्र, दवा उत्पादन, टीका उत्पादन, ऊर्जा उत्पादन, यातायात और परिवहन आदि अनेक क्षेत्रों में भारत आत्मनिर्भर हुआ है। रक्षा उत्पादन में भारत ने 105 प्रकार के रक्षा उपकरणों को भारत मे तैयार कर आत्मनिर्भरता हासिल की है। गत दो वर्षों में कोरोना काल मे भारत ने अपने आत्मनिर्भर होने का प्रमाण 150 देशों को कोविड का टीका भेज कर किया। अनेक देशों में जहां भुखमरी है भारत उन्हें अनाज मुहैया करवा रहा है। श्रीलंका और अफगानिस्तान में यह सहायता अभी चल रही है। चीन के दांत खट्टे करना, पाकिस्तान को उसकी जगह बताना, भारत का विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनना, युद्धों को टालना, बॉर्डर में सड़कों का जाल बिछाना, दुनिया से बेहतर संबंध बनाना, भारत को श्रेठ भारत बनाने के प्रयास करना उन लोगों को पच नही पा रहा है, जो भारत को लूट खसोट की डेमोक्रेसी मानते थे।
आत्मनिर्भर बनते भारत पर शनि की वक्रदृष्टि की छाया है। भारतीय पुराणों में लिखा है सहनी की वक्रदृष्टि ब्रह्मा, विष्णु और महेश पर भी पड़ती है लेकिन शनि की वक्रदृष्टि हनुमान जी पर नही पड़ती। समझ गए? टूटे हुए धनुष की प्रत्यंचा पर विलाप करने की बजाय, भारत को आत्मनिर्भर बनाएं यही शक्ति की साधना है।

लेखक परिचय -श्री पार्थसारथि थपलियाल,
वरिष्ठ रेडियो ब्रॉडकास्टर, सनातन संस्कृति सेवी, चिंतक, लेखक और विचारक। (आपातकाल में लोकतंत्र बचाओ संघर्ष समिति के माननीय स्वर्गीय महावीर जी, तत्कालीन विभाग प्रचारक, शिमला के सहयोगी)

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