समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1जुलाई। ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो चुकी है. जगन्नाथ मंदिर में जगन्नाथ भगवान श्रीकृष्ण रूप में विराजमान हैं.हर साल आषाढ़ माह में अमावस्या के बाद उनकी रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु चार पवित्र धामों में से एक पुरी पहुंचते हैं. मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा भी विराजमान हैं. तीनों की ये मूर्तियां काष्ठ यानी लकड़ की बनी हुई हैं. इन मूर्तियों की पूजा नहीं होती, ये केवल श्रद्धालुओं के दर्शनाथ रखी गई हैं. मान्यता है कि ये मूर्तियां रूप बदलती रहती हैं. जगन्नाथ रथ यात्रा 1 जुलाई से लेकर 12 जुलाई तक चलेगी. आइए पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के बारे में 10 रोचक बातें जानते हैं और यहां की 1100 साल पुरानी रसोई पर प्रकाश डालते हैं.
पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी हुई 10 महत्वपूर्ण बातें
1- इस मंदिर को सतयुग में राजा इंद्रद्युम ने बनवाया था. वक्त-वक्त पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहता है.महाभारत के वनपर्व में इस मंदिर का सबसे पहले प्रमाण मिलता है. वर्तमान मंदिर 7वीं सदी में बनवाया गया था. 1174 ईस्वी में ओडिशा के शासक अनंग भीमदेव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था. मुख्य मंदिर के करीब 30 छोटे -बड़े मंदिर स्थापित हैं.
2- जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण नीम की पवित्र लकड़ी से होता है. इस लकड़ी को दारू कहते हैं. रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील,कांटे और धातु का उपयोग नहीं किया जाता.
3- श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरित दिशा में लहराता है. प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है.
4- जगन्नाथ मंदिर 4 लाख वर्गफुट क्षेत्र में फैला हुआ है. इसकी ऊंचाई करीब 214 फुट है. इस गुबंद की छाया नहीं बनती है. मंदिर के पास खड़े होकर आप मंदिर का गुबंद नहीं देख पाएंगे.
5-पुरी में किसी भी जगह से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको अपने सामने ही लगा दिखेगा. इसे नीलचक्र कहते हैं और यह अष्टधातु से निर्मित है.
6- रथयात्रा मंदिर से निकलकर गुंडीजा मंदिर पहुंचती है. गुंडीचा मार्जन परंपरा के अनुसार रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं द्वारा गुंडीचा मंदिर को शुद्ध जल से धोकर साफ किया जाता है. इस परंपरा को गुंडीचा मार्जन परंपरा कहते हैं.
7- जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही समुद्र की किसी भी ध्वनि को आप नहीं सुन पाएंगे. लेकिन मंदिर से बाहर कदम रखेंगे तो आपको ये ध्वनि सुनाई देने लगेगी.
8- ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार यहां भगवान विष्णु परुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए और सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गये.
9- स्कंद पुराण के अनुसार पुरी एक दक्षिणवर्ती शंख की तरह है और यह 5 कोस यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है.
10- इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा की अधूरी मूर्तियां विराजमान हैं. इन मर्तियों के अधूरे बनने और लकड़ी के बनाने के पीछे राजा इंद्रद्युम और उनकी पत्नी गुंडीचा से जुड़ी हुई लंबी कहानी है
Comments are closed.