समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 20जुलाई। हमारे देश में हर घंटे 27 हजार विवाह होते हैं, हर महीने 8 लाख से ज्यादा लोग शादी के बंधन में बंधते हैं और हर साल 1 करोड़ लोग नए वैवाहिक जीवन की शुरुआत करते हैं. विवाह को परिवार का स्तंभ माना जाता है, लेकिन क्या अब ये स्तंभ दरकने लगा है? जी हाँ सरकार की ओर से कराए गए नए सर्वे में कुछ यही दिख रहा है. भारत के युवा अब शादी करना नहीं पसंद कर रहे हैं. ज्यादातर युवा बिना शादी के रहना चाहते हैं.
देश में बीते कुछ सालों में अविवाहित युवाओं की संख्या में इजाफा हुआ है. केंद्र सरकार की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण में ये बात सामने आई है. सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक देश में 15-29 साल के आयु वर्ग के अविवाहित व्यक्तियों का अनुपात 2019 में बढ़कर 23% हो गया जो 2011 में 17.2% था. ये रिपोर्ट राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जारी की है. राष्ट्रीय युवा नीति-2014 के मुताबिक देश में 15 से 29 साल की आयु के लोगों को युवा के रूप में बांटा गया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक देश में ऐसे पुरुषों की आबादी 2011 में 20.8% थी, जिन्होंने कभी शादी नहीं की थी. ये अनुपात 2019 में बढ़कर 26.1% हो गया है.
बता दें कि भारत में 4 में से 1 युवा शादी करने से कतरा रहा है. सर्वे के मुताबिक 19% युवाओं को न तो शादी में रुचि है न ही बच्चों में. वहीं 8% युवा बच्चे तो चाहते हैं, लेकिन शादी करना नहीं चाहते. वहीं 23 साल से कम उम्र के युवा शादी और बच्चों में बिल्कुल रुचि नहीं रखते. इन ट्रेंड में लिंग के मुताबिक बहुत कम अंतर है. शादी न करने के फैसले का सबसे बड़ा कारण आर्थिक असुरक्षा है. ज्यादातर भारतीय युवा सही जीवनसाथी न मिल पाने के कारण शादी करने से कतरा रहे हैं.
सर्वेक्षण के मुताबिक कभी शादी नहीं करने वाली महिलाओं के अनुपात में भी इसी तरह की वृद्धि दर्ज की गयी है. सर्वेक्षण के मुताबिक, अविवाहित महिलाओं का अनुपात 2011 में 13.5% था, जो 2019 में बढ़कर 19.9% हो गया. सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 2019 में जम्मू-कश्मीर में ऐसे युवाओं का प्रतिशत सबसे अधिक था, जिन्होंने कभी शादी नहीं की थी. उसके बाद उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब का स्थान था. वहीं, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में देश के अन्य हिस्सों की अपेक्षा शादी नहीं करने वाले युवाओं का प्रतिशत सबसे कम था।
इस सर्वे के बाद कई सवाल खड़े होते है की क्या क्या खराब आर्थिक स्थिति, रिश्तों का दबाव ना झेल पाने का डर और सही जीवन साथी की तलाश पूरी ना होने का गम लोगों को अब आजीवन अकेले रहने पर मजबूर कर रहा है? और क्या आज कल का युवा इस अकेलेपन का सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं?
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