समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22जुलाई। देश की राजधानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार को एक और झटका लगा है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी की सीबीआई की जांच की सिफारिश की है. रिपोर्ट्स की मानें तो इस पॉलिसी में कई नियमों की अनदेखी और लाइसेंस आवंटन के दौरान गड़बड़ी की बात सामने आई है. दिल्ली बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा की दिल्ली में शराब कारोबारियों से केजरीवाल सरकार की साठगांठ की पोल खुल गई है, क्योंकि उपराज्यपाल ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने कहा कि जांच में जल्द ही सच सामने आ जाएगा.
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव की इस महीने की शुरुआत में सौंपी गयी रिपोर्ट के आधार पर CBI जांच की सिफारिश की गई है. इस रिपोर्ट से प्रथम दृष्टया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991, व्यापारिक लेनदेन की नियमावली-1993, दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 और दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के उल्लंघनों का पता चलता है.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा रिपोर्ट में ‘‘शराब के ठेकों के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ’’ देने के लिए ‘‘जानबूझकर और घोर प्रक्रियागत खामियां करने’’ का भी जिक्र है. नयी आबकारी नीति 2021-22 पिछले साल 17 नवंबर से लागू की गयी थी, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को रिटेल लाइसेंस दिए गए. कई शराब की दुकानें खुल नहीं पायी. ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए. बीजेपी का आरोप है कि दिल्ली सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर शराब माफियाओं का साथ दिया है जबकि नियम यह कहता है कि किसी भी ब्लैक लिस्टेड कंपनी को टेंडर नहीं दिया जाएगा. उनका दावा है कि दिल्ली सरकार ने टेंडर दिया .
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