कुमार राकेश
अब वो कभी नहीं मिल पायेगी.अब तो चली गयी.इहलोक को छोड़कर अपने स्वर्गलोक..जी हाँ अपनी,आपकी ,हम सबकी आदरणीय मृदुला जी सिन्हा.आज सुबह जल्दी पहुँचने की इच्छा थी.अपनी गाडी की बैटरी भी शोकाकुल लगी.फिर ओला की मदद ली,उनके दिल्ली स्थित आवास pt 62/20,कालका जी एक्सटेंशन पहुंचा.उनके अंतिम दर्शन के लिए.दर्शन किया.नमन किया.उनका आशीर्वाद लिया.देखने के बाद ऐसा लगा कि बस वो निद्रा में है ,पर वो अब चिर निद्रा में थी.क्या किया जाये,ये तो इस संसार की मज़बूरी है .
अनिवार्य नियम हैं .जिसका शासन पूरे विश्व पर चलता है.मृत्यु किसी से नही डरता ,डराता सबको है.कोरोना का भय को ही देख लीजिये.भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री हो या किसी भी देश के,सब के सब भयभीत हैं ,उस मृत्यु के भय से ..
पर मृदुला जी जीत गयी.उन्होंने मृत्यु को हराया नहीं , बल्कि दोस्ती कर ली.जो उनका चिर स्वाभाव था.जो भी मिलता ,उन्ही का होकर रह जाता .तभी तो इस कोरोना काल में भी हजारो की संख्या में श्रद्धांजलि देने उनके चाहने वाले पहुंचे.अंतिम विदाई दी .मैं भी उनके से एक सौभाग्यशाली था,जिसे उन्हें कन्धा देने का पुण्य प्राप्त हुआ .शायद ये भी उनका आशीर्वाद ही था.जो मेरे को मिला ..मिलता रहा .आगे भी मिलता रहेगा .
कहते हैं ,जीवन क्या हैं ,कोई न जाने ,जो जाने पछताए ..जीवन वो रंग हैं ,वो भंग हैं ,वो उमंग है ,वो तरंग है ,जो इसमें जिस रंग में डूबा .जीवन ने उसको उसी भाव में प्रदान किया .
आदरणीय मृदुला जी का जीवन एक खुली किताब रही.उनका साहित्य जीवन के खुशनुमा पलो को एक सूत्र में पिरोती है.जिससे कोई भी कभी भी स्वयं को ऊर्जान्वित कर सकता है .साहित्य व राजनीति का अद्भुत संगम,राजनीति में ख़त्म होती सम्वेदनाओ को बचाने की प्रबल प्रवक्ता,पैरोकार व अधिवक्ता रही मृदुला जी .
उनके पुत्र नवीन जी सिन्हा ,पुत्र वधु संगीता जी ,जिनको उन्होंने कई वर्ष पहले पानी पत्रिका का सम्पादक का प्रभार दे दिया था ,डॉ रामकृपाल जी सिन्हा ,जो हर वक़्त उनके साथ रहते थे,,पूरा परिवार ,रिश्तेदार ,शुभ चिन्तक,अनुयायी सब के सब निःशब्द थे.मौन थे .सबकी आँखें नम थी ,चित्त उदास ,तन बेसुध.
मृदुला जी के सम्मान में अंतिम विदाई के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ जी कोविंद,प्रधानमन्त्री नरेद्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा प्रेषित अनुपम सन्देश व पुष्पांजलि भेज कर अपने अपने दुखो को जताया.उनके अलावा ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता राम लाल जी के साथ भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश जी नड्डा ,सांसद डॉ अनिल जैन, प्रभात प्रकाशन के प्रभात जी के साथ कई राजनेता नेता ,मीडियाकर्मी ,साहित्यकार, महिला नेताओं का एक विशाल समूह के स्वयं वहां पर मौजूद होकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की.
सभी ग़मगीन थे .मौन थे ,चुप थे ,शांत थे ,उस चिरंतन यात्री की याद में ..उनको दैहिक तौर पर अंतिम विदाई के लिए ..पर उनकी चिरंतन यात्रा हेतु प्रस्थान के लिये…….परम स्नेही मृदुला जी ,जहाँ भी रहेंगी ,अपने स्वाभाव के अनुसार हंसती व मुस्कुराती रहेंगी व अपनी स्वर्णिम यादो से हम सबको गुदगुदाती रहेगी…
…नमन, उनको शत शत नमन …
नमन,उस साहित्य साधक को ,
नमन, उस राजनेता को ,
नमन ,उस महिला अधिकारों के लिए आजीवन लड़ने वाली योद्धा को .
नमन,घर से बाहर तक जोड़ने वाली असंख्य परिवारों की प्ररणा स्त्रोत को,
नमन,शक्ति की असीम पुंज की.
नमन उस चिरंतन यात्री को ………..
नमन ……शत शत नमन ……..शत शत नमन ……शत शत नमन ….
*कुमार राकेश
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