राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने गोमय दीपक को जन जन के मध्य लोकप्रिय बनाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर कामधेनू दीपावली अभियान मनाने का किया संकल्प
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23नवंबर।
गोमय गणेश अभियान की अपार सफलता एवं जन जागृति से उत्साहित होकर राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने गोमय दीपक को जन जन के मध्य लोकप्रिय बनाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर कामधेनू दीपावली अभियान मनाने का संकल्प किया है ।
रा का आ की स्थापना हमारे दूरदृष्टा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गौमाता एवं गौवंश की सुरक्षा, संरक्षण, विकास एवं पशुपालन कार्यक्रम के उचित दिशा में उत्थान को सुनिश्चित करने हेतु की गयी थी ।
राकाआ उच्च शक्ति प्राप्त स्थायी निकाय है जो गोपालन से संबंधित योजनाओं के नीति निर्माण एवं क्रियान्वयन को उचित दिशा प्रदान करने के लिए कार्यरत है जिससे आजीविका के अवसर उत्पन्न करने पर प्रयास केंद्रित किये जा सकें । ग्रामीण क्षेत्रों में पशुधन अर्थव्यवस्था का लगभग 7.3 करोड़ घरों के जीवनयापन में महत्वपूर्ण योगदान है ।
राकाआ देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की सोच के क्रियान्वयन हेतु अपने सर्वोत्तम स्तर पर प्रयासरत है । आयोग का मानना है कि गौ केंद्रित अर्थव्यवस्था इस लक्ष्य की प्राप्ति में अपना महती योगदान दे सकती है । इस कार्य हेतु आयोग पंचगव्य गौ उत्पादों के उपयोग में बढ़ोतरी करने के लिए सतत रूप से प्रयासरत है ताकि किसानों , गोपालकों , युवाओं, महिलाओं , स्वयं सहायता समूहों एवं अन्य हितग्राहियों की आय में वृद्धि हो सके ।
प्रधानमंत्री जी की अपील के मध्यनजर आयोग ने हाल ही में गणेश उत्सव पर सोशल मीडिया में विभिन्न मंचों के माध्यम से पर्यावरण मित्र सामग्री का उपयोग कर भगवान गणपति की प्रतिमाओं के निर्माण हेतु राष्ट्र व्यापी प्रचार अभियान चलाया गया था । अभियान विभिन्न हितग्राहियों यथा डेयरी किसानों, युवा बेरोजगारों , महिलाओं, युवा व्यवसायियों, गोपालकों एवं स्वयं सहायता समूहों के मध्य गोउत्पादों के निर्माण प्रति अत्यधिक रुचि उत्पन्न करने में सफल रहा था ।
गोमय गणेश अभियान के परिणामों से उत्साहित होकर आयोग द्वारा इस वर्ष दीपावली पर्व को राष्ट्रव्यापी स्तर पर “कामधेनु दीपावली अभियान” के नाम से मनाने का निर्णय लिया है।इस अभियान में आयोग दीपोत्सव के दौरान गोबर एवं पंचगव्य के बहुआयामी उपयोग को प्रोत्साहित करने जा रही है । दीप पर्व के लिए गोबर आधारित दीये, मोमबत्तियां, धूप, अगरबत्तियां, शुभ- लाभ , स्वस्तिक, समरानी, हार्डबॉर्ड, वाल पीस , पेपर वेट , हवन सामग्री, भगवान गणेश एवं लक्ष्मी की प्रतिमाओं का निर्माण प्रारंभ हो चुका है । आयोग ने देशभर में 11 करोड़ परिवारों के माध्यम से गोबर निर्मित 33 करोड़ दीप प्रज्वलित करने का लक्ष्य रखा है । हर्ष का विषय है कि अभी तक प्राप्त जानकारियां उत्साहवर्धन करने वाली हैं । भगवान श्रीराम की पावन जन्मस्थली अयोध्या में 3 लाख दीये प्रज्वलित किये जायेंगे। इसी प्रकार पवित्र स्थल काशी में भी 1 लाख दीप प्रज्वलन का कार्यक्रम आयोज्य है । समस्त शहर, गांव , कस्बे , घर भी गोबर निर्मित दियों से जगमगाएंगे ।
गोबर आधारित उत्पादों के प्रयोग में अभिवृद्धि, गोआधारित उत्पादन में संलिप्त हजारों उद्यमियों, किसानों, महिला उद्यमियों के लिए व्यापार के अवसरों का सृजन करने के अतिरिक्त स्वच्छ एवं स्वास्थवर्धक पर्यावरण की दिशा में कदम होगा । यह प्रयास गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा । प्रधानमंत्री की संकल्पना एवं स्वदेशी आंदोलन को प्रोत्साहन देते हुए चीन निर्मित दीयों का बहिष्कार सुनिश्चित करेगा ।
राकाआ दीपावली के अवसर पर उपयोग किये जाने योग्य गोबर आधारित उत्पादों के निर्माण एवं विपणन पर ध्यान केंद्रित करने एवं बढ़ावा देने हेतु विभिन्न हितग्राहियों से वेबनारों की श्रृंखला के माध्यम से निरन्तर संवाद कर रही है । आयोग देश भर की गौशालाओं को कामधेनु दीपावली उत्पादों के निर्माण हेतु प्रेरित करने एवं सुविधा जनक बनाने के लिए समस्त राज्यों के प्रत्येक जिले में अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रव्यापी निर्माण तथा विपणन योजना की सफलता हेतु अपनी उपस्थिति सुलभ बना चुका है । अभियान की सफलता के लिए इसमें भिन्न भिन्न खंडों के हितग्राहियों यथा किसानों , उद्यमियों, उत्पादकों , गौशालाओं एवं अन्य संबंधित की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
अक्सर यह प्रश्न पूछा जाता है कि इस क्षेत्र पर ध्यान देना अतिआवश्यक क्यों है ? यहाँ मैं इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि यद्यपि देश सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है किंतु औसत दूध प्राप्ति वैश्विक औसत की मात्र 50 प्रतिशत ही है । न्यून उत्पादन का कारण मुख्यतः पशुधन की आनुवंशिकता में क्षय , खराब पोषण एवं अवैज्ञानिक प्रबंधन है । प्रवृत्ति को उलटने की आवश्यकता है एवं गाय आधारित कृषि एवं उद्योग के बारे में प्रचलित अवधारणा को ग्रामीण समाज के सामाजिक एवं आर्थिक कायाकल्प हेतु तुरंत प्रभाव से ठीक करने की महती आवश्यकता है ।
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