समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल विमानों की खरीद के सौदे में रिश्वत का आरोप की नए सिरे से जांच के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया और नए सिरे से जांच और मामलों के पंजीकरण की मांग वाली एक जनहित याचिका को वापस लेने की अनुमति दी.
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने वकील एम एल शर्मा की इस दलील पर विचार किया कि सौदे से संबंधित नए साक्ष्य एकत्र करने के लिए अनुरोध पत्र जारी करने का निर्देश जारी किया जाए. उन्होंने कुछ मीडिया रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सौदा अपने पक्ष में करने के लिए डसॉल्ट एविएशन द्वारा एक बिचौलिए को एक अरब यूरो का भुगतान किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने एक फ्रांसीसी समाचार पोर्टल द्वारा कथित रूप से एक भारतीय बिचौलिए को डसॉल्ट एविएशन द्वारा रिश्वत के भुगतान का खुलासा करने की रिपोर्ट के मद्देनजर नए राफेल सौदे में रिश्वत का आरोप की नए सिरे से जांच और मामलों के पंजीकरण की मांग वाली एक जनहित याचिका को वापस लेने की अनुमति दी.
पीठ ने नई जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. शर्मा ने तब जनहित याचिका को वापस लेने का फैसला किया. 14 दिसंबर, 2018 को शीर्ष अदालत ने 36 राफेल जेट विमानों की खरीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच सौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि निर्णय लेने की प्रक्रिया पर वास्तव में संदेह करने का कोई मतलब नहीं था.
Comments are closed.