70 साल के लंबे अंतराल के बाद पीएम मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17सितंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में बने विशेष बाड़े में नामीबिया से हवाई मार्ग से लाए गए चीतों को छोड़ा, इसके बाद उन्होंने खुद अपने कैमरे से कुछ तस्वीरें भी क्लिक कीं.बताते चलें कि भारत में इस जानवर के विलुप्त होने के 70 सालों के बाद चीते लाए गए हैं. बोइंग के एक विशेष विमान ने कल रात को अफ्रीकी देश से उड़ान भरी थी और वह लकड़ी के बने खास तरीके बॉक्स में चीतों को लेकर करीब 10 घंटे की यात्रा के बाद भारत पहुंचा. चीतों को लाने के लिए विमान में खास इंतजाम किए गए थे. एक अधिकारी ने बताया कि विमान सुबह आठ बजे से कुछ देर पहले ही ग्वालियर हवाई अड्डे पर उतरा, इसके बाद इन्हें हेलिकॉप्टर की मदद से नेशनल पार्क तक पहुंचाया गया.

इस मौके पर उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दशकों पहले, जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है. आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं. और मैं ये भी कहूँगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है.

उन्होंने कहा कि ये बात सही है कि, जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है. विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं. पीएम के अनुसार कुनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहाँ का grassland ecosystem फिर से restore होगा, biodiversity और बढ़ेगी. उन्होंने बताया कि कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा. पीएम ने कहा कि आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं.कुनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा. अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है. बकौल पीएम, हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है.

पीएम मोदी ने नामीबिया को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं. उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ. पीएम के अनुसार, आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है.

इस मौके पर उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दशकों पहले, जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है. आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं. और मैं ये भी कहूँगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है.

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