शारदीय नवरात्री 2022: नव दुर्गा के साथ स्वास्थ्य के लिए नौ औषधियाँ!!

हरिओम विश्वकर्मा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28सितंबर। मां दुर्गा और उनके नौ अवतारों को समर्पित शारदीय नवरात्रि उत्सव का 9 दिवसीय उत्सव 26 सितंबर से शुरू हो गया है। यह त्यौहार पूरे देश में हिंदुओं द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इसका उद्देश्य मां दुर्गा और उनके नौ अवतारों की पूजा करना है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’। हिंदू साल भर में कुल चार नवरात्रि मनाते हैं। उनमें से केवल दो, चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में व्यापक उत्सव हुए, क्योंकि वे ऋतुओं की शुरुआत के साथ मेल खाते हैं।

अश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी से प्रतिपदा तक शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। जबकि छुट्टी पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है, अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग परंपराएं अधिक प्रचलित हैं।

भक्त मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा करते हैं ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके। नो दिन तक देवी के 9 अलग अलग रूपो की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के नौ रूपो की भांती देश में 9 औषधियां भी है जो मां के आशिर्वाद के जैसे ही हमारे लिए वरदान है। इन 9 औषधियों को नवदुर्गा कहा जाता है।

जानिए इन 9 औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है –

(1) प्रथम शैलपुत्री (हरड़) : कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है.यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है.

(2) ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) : ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है.इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है.

(3) चंद्रघंटा (चंदुसूर) : यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है. यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं.

(4) कूष्मांडा (पेठा) : इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है.इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं. इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है. मानसिक रोगों में यह अमृत समान है.

(5) स्कंदमाता (अलसी) : देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं. यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है.

(6) कात्यायनी (मोइया) : देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका.इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं.यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है.

(7) कालरात्रि (नागदौन) : यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं.यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है.

(8) महागौरी (तुलसी) : तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र. ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है.

(9) सिद्धिदात्री (शतावरी) : दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं. यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है।

( हरिओम विश्वकर्मा एडवोकेट जालौन, उत्तर प्रदेश)

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