समग्र समाचार सेवा
जिनेवा, 15नवंबर। संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट के अनुसार येलोस्टोन और किलिमंजारो नेशनल पार्क सहित कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे. UN की संस्था UNESCO ने 50 विश्व धरोहर स्थलों पर 18,600 ग्लेशियरों के अध्ययन के बाद लगभग 66,000 वर्ग किलोमीटर (25,000 वर्ग मील) पर ग्लोबल वार्मिंग के पड़ रहे प्रभाव का आकलन किया है. यूनेस्को ने कहा, “अध्ययन से पता चलता है कि ये ग्लेशियर CO2 उत्सर्जन के कारण लगातार पिघल रहे हैं.” एजेंसी ने समझाया कि ग्लेशियर हर साल 58 बिलियन टन बर्फ खो रहे हैं, जो फ्रांस और स्पेन के संयुक्त वार्षिक जल उपयोग के बराबर था, और लगभग पांच प्रतिशत वैश्विक समुद्री स्तर में वृद्धि के लिए जिम्मेदार थे.
एक तिहाई ग्लेशियर 2050 तक होंगे गायब
यूनेस्को ने कहा कि 50 विश्व धरोहर स्थलों में से एक तिहाई में ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे अगर मौजूदा हालात बने रहे. अफ्रीका में, सभी विश्व धरोहर स्थलों में ग्लेशियर 2050 तक समाप्त हो जाएंगे, जिसमें किलिमंजारो नेशनल पार्क और माउंट केन्या शामिल हैं. यूरोप में, पाइरेनीज़ और डोलोमाइट्स में कुछ ग्लेशियर भी शायद तीन दशकों के बाद गायब हो जाएंगे. आगे संस्था ने कहा कि यदि पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होती है, तो शेष दो तिहाई स्थलों में हिमनदों को बचाना अभी भी संभव है. हालांकि यह टारगेट किसी भी रिपोर्ट में पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है.
मिस्र में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के बीच आई “ग्लोबल कार्बन बजट 2022” रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2022 में 40.6 बिलियन टन CO2 का कुल उत्सर्जन अनुमान 2019 के उच्चतम वार्षिक उत्सर्जन 40.9 बिलियन टन CO2 के करीब है. रिपोर्ट के अनुसार, यदि मौजूदा उत्सर्जन स्तर बना रहता है, तो 50 प्रतिशत संभावना है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस की वार्मिंग नौ वर्षों में पार हो जाएगी. पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित ग्लोबल वार्मिंग सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस है, जो दुनिया को उम्मीद देती है कि यह जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए पर्याप्त होगी. पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) स्तरों के औसत की तुलना में पृथ्वी की वैश्विक सतह के तापमान में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और इस बढ़ोतरी को दुनिया भर में रिकॉर्ड सूखे, जंगल की आग और पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ का कारण माना जाता है.
Comments are closed.