किसान आंदोलन का समर्थन करना कनाडा के शीर्ष नेताओं को पड़ा भारी, भारत के राजनयिको ने सुनाई खरी खोटी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 दिंसबर।

भारत में चल रहे किसान आंदोलन और कनाडा में शीर्ष नेताओं द्वारा जारी किए गए बयानों के समर्थन से विवाद और बढ़ गया है। अब भारत के कई पूर्व राजनयिकों ने एक खुला पत्र लिखकर कनाडा के इस रवैये की कड़ी निंदा की है। इसके साथ ही, इसमें कई बहुत गंभीर और संवेदनशील आरोप थे।

कई पूर्व उच्चायुक्तों ने कनाडा को निशाना बनाया
आज कनाडा में रहे भारत के पूर्व उच्चायुक्त विष्णु प्रकाश सहित 22 पूर्व उच्चायुक्तों ने एक पत्र जारी करते हुए कहा कि भारतीय मूल के 5 प्रतिशत लोग कनाडा में रहते हैं और दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध हैं। लेकिन हाल ही में, कुछ खालिस्तान समर्थक राजनीतिक रूप से मुखर हो रहे हैं, जो कनाडा में कुछ राजनेताओं को प्रभावित करने में सफल होते हैं। गंभीर रूप से यह आरोप लगाया गया था कि खालिस्तान के समर्थकों को वहां पाकिस्तान के राजनयिक का खुला समर्थन मिलता है, जिसे कनाडा सरकार अंधा मानती है। कनाडाई पीएम के इस बयान की निंदा करते हुए लिखा गया था कि भारत की आंतरिक राजनीति पर टिप्पणी करना एक गलत परंपरा थी। यह भी चेतावनी दी गई थी कि कनाडा में वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित यह व्यवहार उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक गलत नाम देगा।

बता दें कि इससे पहले, विदेश मंत्रालय ने भी किसान आंदोलन का औपचारिक रूप से समर्थन किया था और इस मामले में कनाडाई पी.एम.
जस्टिन ट्रूडो सहित अन्य नेताओं के बयान का कनाडा के उच्चायुक्त ने जमकर विरोध किया और उन्हें तलब किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि अगर यह जारी रहा, तो यह दोनों देशों के आपसी संबंधों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा। भारत ने कहा था कि किसानों के मुद्दे पर कनाडा के नेताओं द्वारा दिए गए बयान के कारण, कनाडा में भारतीय मिशन के सामने इकट्ठा होने का खतरा बढ़ गया था, जिसने सुरक्षा का मुद्दा उठाया था।

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