गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
गीता जयंती पर लुटाया जा रहा है टैक्सपेयर्स का खून पसीने का पैसा।
मनोहर लाल ने गीता को भी इवेंट बना दिया। प्रत्येक जिले को दिए पंद्रह लाख।
इन दिनों हरियाणा के तमाम छोटे बड़े अफसर गीता जयंती समारोह मनाने में व्यस्त है। कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय समारोह हो रहा और जिला स्तर पर भी कार्यक्रम हो रहे है।
उनके सरकारी संत गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के जिओ गीता का प्रचार किया जा रहा है। ज्ञानानंद के महिमामंडन को देख स्वामी धर्मदेव पटौदी वाले भी पीछे रह गए है। हालाँकि सबसे पहले उन्होंने ही मनोहर लाल को पंजाबी नेता स्थापित करवाया था।
गीता के प्रचार प्रसार की आड़ में यह कार्यक्रम मात्र सरकारी अधिकारियों और स्कूली बच्चों तक सीमित है। आम आदमी न तो इससे जुड़ा महसूस करता है और न ही कोई धार्मिक या आध्यात्मिक संस्था। गीता एक गूढ़ रहस्य ज्ञान है पर सरकार ने इसे एक ईवेंट मैनेजमेंट कार्यक्रम बना दिया है जो ज्ञानानंद महाराज के एजेंडा को टैक्स पेयर के पैसों से पूरा किया जा रहा है।
बेहतर होगा यदि सरकार स्वयंभू बाबाओं के एजेंडा को पूरा करने की बजाय लोगो की बेरोज़गारी और प्रदेश के युवाओं में नशे के बढ़ते प्रभाव की तरफ़ अपना ध्यान और ऊर्जा खर्च करे। गीता के प्रचार पर पैसा फूंकने की बजाय नशा मुक्ति केंद्र खोले जाय। युवाओं को रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाए जाय और प्रदेश में उद्योग धंधे लगाये जाय।
मात्र अधिकारियों को अनप्रोडक्टिव कार्य में झोंकने के अलावा उन्हें अपने विभाग से सम्बंधित कार्य भी करने दे। इस तरह के आयोजनों में स्कूल के टीचर और बच्चों को ज़बरदस्ती लगाने की बजाय उन्हें पढ़ने और पढाने दिया जाय ताकि वो कल के बेहतर भारत का निर्माण कर सके । एक कड़े नियम की सख़्त ज़रूरत है जिसमें सरकारी आयोजनों में स्कूल को बिलकुल दूर रखा जाय लेकिन फिर ये आयोजन होंगे कैसे?
भगवान कृष्ण भी ठंड में स्कूली बच्चों व टीचर की व्यथा देख कर व्यथित हो रहे होंगे । स्वर्ग में भगवान कृष्ण भी देख रहे होंगे की कैसे उनके नाम को भी वोट लेने का जरिया बना लिया गया है और वो भी उस हरियाणा में जहा सदियों पूर्व उन्होंने गीता का उपदेश दिया था। गीता में भी पढ़ता हूँ। न केवल पढता बल्कि उसकी शिक्षा पर अमल करने का प्रयास भी करता हो लेकिन पाखंड नहीं करता।
Comments are closed.