गुस्ताखी माफ़ हरियाणा
पवन कुमार बंसल
हरियाणा की राजनीति के पहिये तेजी से घूम रहे है -पर्दे के पीछे शतरंज की गोटिया बिछाई जा रही है।
क्या उम्र के इस दौर में राजनीति का बूढ़ा शेर ओमप्रकाश चौटाला कोई खास भूमिका निभाएगा। ?
आज से पचीस वर्ष पूर्व हरियाणा की राजनीति पर लिखी मेरी किताब ‘हरियाणवी लालों के सबरंगे किस्से’ के प्राक्थन में पत्रकार प्रभाष जोशी ने लिखा था कि स्कूली इतिहास पढ़कर बड़े हुए कई भारतवासी नहीं जानते के पृथ्वीराज चौहान और मोहमद गोरी की लड़ाई भी आज के करनाल के पास तरावड़ी गांव की भूमि पर हुई थी जिसे मुस्लिम इतिहासकारो ने उच्चारण न जांनने के कारण तराई लिख दिया जिससे साबित होता है की हरियाणवी उच्चारण , मुहावरा और यहाँ की राजनीती समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन हमारे पवन बंसल इस उच्चारण ,मुहावरे और यहाँ की राजनीति को वैसे ही जानते जैसे की इनसे हरियाणा के लाल बने है।
जो मीडिया दिखा रहा है या जो ऊपरी तौर पर दिख रहा है शायद वो न हो।
ऊपरी तौर पर तो दिख रहा है की लोकसभा चुनाव में ,मनोहर लाल के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार की तमाम नाकामियों के बावजूद मोदी के जादू के चलते अमित शाह हरियाणा में दस कमल खिला लेंगे और उसके बाद होने वाले असेंबली चुनाव में भाजपा जाट – नॉन जाट कर नारा लगा फिर तीसरी बार लोगो का खून चूसने के लिए सत्ता में आ जाएगी।
लेकिन पर्दे के पीछे बहुत कुछ हो रहा है जो भाजपा के इन हसींन सपने को चुनौती दे सकता है। बयालीस साल पहले मोरारजी देसाई की सरकार तोड़ने की रणनीति चौधरी चरण सिंह ने दिल्ली के साथ लगते हरियाणा के सूरजकुंड में बनाई थी और फिर देवीलाल ने राजीव गाँधी का तख्ता पलटने की योजना भी हरियाणा में ही बनाई थी.
आज भी वो योजना देवीलाल का लाल ओमप्रकाश चौटाला दिल्ली के साथ लगते हरियाणा में एम्बेयन्स माल के पीछे करोटन अपार्टमेंट के ग्यारहवें मंजिल फ्लैट की बालकोनी में धूप सेंकते हुए बना रहा है। इस योजना को लागू करने के लिए उन्हें नीतीश कुमार और शरद पवार का समर्थन है। सभी मिलकर भाजपा और मोदी विरोधी माहौल बनाने के लिए शतरंज के पासे इधर -उधर फेंक कर अपनी ताकत आज़मा रहे है। इस रणनीति में कांग्रेस भी शामिल है।
यदि मोदी विरोधी महागठबंधन बनता है तो अमित शाह के हरियाणा में कमल के दस फूल खिलाने के सपने की भ्रूण हत्या हो सकती है।
और फिर थोड़े समय बाद होने वाले हरियाणा असेंबली के चुनाव में भाजपा के तीसरी बार सत्ता में आने का सपना भी चूर हो सकता है। वैसे अभी दिल्ली बहुत दूर है लेकिन हरियाणा से ज्यादा दूर ही नहीं बल्कि तीन तरफ से हरियाणा से घिरी हुई है।
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