गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

पवन कुमार बंसल।
मीडिया में छपास के रोग ने एक अच्छे -भले पोलिसकर्मी की बलि ली – मामला आशीष उर्फ़’सिंघम’ की बर्खास्तगी का।
ट्रैफिक रूल्स सख्ती से लागू करने वाले और अपनी ड्यूटी सही करने वाले पानीपत के हैड कांस्टेबल आशीष उर्फ़;सिंघम’ को छपास रोग ले बैठा।
पानीपत के पुलिस अधीक्षक शंशांक कुमार सावन ने उन्हें संविधान की धारा ३११ (२) (बी ) के तहत बर्खास्त कर दिया और उन पर अनुशाशनहीनता ,अपने कामो से ड्यूटी में रहते सरकार के खिलाफ लोगो में रोष पैदा करने और अधिकारियों की अवज्ञा करने के आरोप लगे है।
असल में यह लछमन रेखा के उलंघन के चलते हुआ। आशीष अपनी ट्रैफिक ड्यूटी बड़ी मुस्तैदी से निबाह रहा था।लेकिन वो अपनी सीमा का उल्लंघन कर गया।ट्रैफिक नाके पर रिश्वत लेते एक पुलिसकर्मी का वीडियो बना उससे उलझ गया और यही मार खा गया। अगर अपनी ड्यूटी तक ही सीमित रहता तो यह नौबत नहीं आती। सोशल मीडिया पर पोस्ट डालनी और चर्चा में रहने का उसे चस्का लग गया था। कार्रवाई पुलिस अधीक्षक शंशांक कुमार ने की है इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि ऐसा उन्होंने किसी दवाब में किया है।
काश सिंघम ने बलराज से कोई सीख ली होती तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता।
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पानीपत के ही थानेदार बलराज भी अपनी नौकरी ईमानदारी और बिना दवाब के करने के लिए जाने जाते है। लेकिन कभी बयानबाजी नहीं करते। यहाँ तक की जब उन्हें गृह मंत्री अनिल विज के दरबार में रिश्वत लेने की झूठी शिकायत पर सस्पेंड किया तब भी बयानबाजी नहीं की। शांत रहे और अपनी बात सलीके से से मंत्री के सामने रखी और आला अफसरों को भी विश्वास में लिया। नतीजा बाइज्जत बहाल हुए और झूठी शिकायत करने वाले के खिलाफ भी एक्शन लिया जा रहा है। इसी तरह आशीष भी शांत रहकर अपनी ड्यूटी करता तो लोगो को बहुत न्याय दिला सकता था।
मीडिया के चस्के का पुराना किस्सा।
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लेखक चार दशक पहले जींद में इंडियन एक्सप्रेस अखबार का रिपोर्टर था। पुलिस ने दो किलो अफीम बरामद की लेकिन तत्कालीन एस पी ने बड़ी खबर के चक्कर में बयांन दिया की दस किलो अफीम बरमाद हुई है। बाद में मुलजिमो के वकील ने अदलात में अखबार की प्रति पेश करते हुए कहा कि या तो केस झूठा है या फिर बाकि की अफीम पुलिस खुद हजम कर गयी। हालाँकि अख़बार की खबर कोई एविडेंस नहीं मानी जाती लेकिन अदालत में पुलिस के फजीहत तो हुई।

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