गुस्ताखी माफ़ हरियाणा

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा
पवन कुमार बंसल

हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है –मामला हवलदार आशीष उर्फ़ सिंघम की बर्खास्तगी का।
पुलिस महानिदेशक इस मामले पर ठन्डे मन से पुनर्विचार करे।
अनुशाशनहीनता और अवज्ञा करने के आरोप में पानीपत के पुलिस अधीक्षक शंशांक ने हवलदार आशीष उर्फ़ सिंघम को बर्खास्त क्या किया उसकी तो
रातो -रात टी आर पी बढ़ गयी। उसके मामले पर पुनर्विचार करके उसे लछमन रेखा का उलंघन नहीं करने की सख्त चेतावनी देकर उसपर रहम करना चाहिए।
यह तो ठीक है की उसने अनुशासन महकमे की मर्यादा का उल्लंघन किया है लेकिन कोई अपराध और करप्शन नहीं की बल्कि वो तो करप्शन के खिलाफ आवाज उठा रहा था। शायद उसपर चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल के करप्शन पर जीरो टॉलरेंस के नारे का ज्यादा ही असर हो गया। वो भूल गया की ब्याह के सारे गीत सच्चे नहीं होते।
सवाल है कि क्या उनकी बर्खास्तगी में जल्दबाजी तो नहीं की गयी?क्या पहले उसके खिलाफ विभागीय जांच करके उसे दोषी करार किया गया ?
सिंघम ने पानीपत में ट्रैफिक सिस्टम में काफी सुधार किया था। उसने ट्रैफिक पुलिस की अवैध वसूली की रिकॉर्डिंग की। बाकायदा शिकायत थाने में की गयी लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन उसके साथ हाथापाई की गयी और गाली देते हुए मारपीट की।
सिंघम ने अनिल विज के दरबार में पेश होकर शिकायत की तो विज ने जांच का आश्वासन दिया लेकिन कोई एक्शन की बजाय उसे आनन-फानन में बर्खास्त कर दिया।
हरियाणा पुलिस में इस समय करप्शन चरम सीमा पर है। कुछ समय पहले पानीपत के एक व्यक्ति ने विज के दरबार में पेश होकर शिकायत की थी कि शराब के एक एक ठेकेदार ने उनके नाम से फर्जी ठेके लेकर उसे फंसा कर जेल में भिजवा दिया। यहआरोप भी लगाया के पुलिस ने भी उसकी शिकायत पर कोई एक्शन नहीं लिया। विज ने अम्बाला से ही पुलिस महानिदेशक को फ़ोन कर उसे सुरक्षा देने और दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन का आदेश देकर मीडिया में
खूब सुर्खिया बटोरी लेकिन उस मामले में क्या हुआ कुछ पता नहीं?

फिर खेमका के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं।
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सवाल यह भी है की यदि सिंघम पर बयानबाजी करने का आरोप है तो यह आरोप तो आई ए एस , अफसर अशोक खेमका पर भी है। वो भी आए दिन सरकार की नीतियों और फैसलों को लेकर ट्वीट करते रहते है।

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