आनंद श्रीवास्तव।
किसी कविता के प्रवाह के मानिंद अटलजी हिंदुस्तानी सियासत पर एक अमिट दस्तखत हैं , तो भारतीय राजनीति के उतार-चढ़ाव के बीच एक ठहराव भी हैं।
इस चेहरे में हिंदुस्तान की सियासत का कई दशकों का इतिहास सिमटा हुआ है..इस शख्सियत में आजाद भारत के राजनीतिक संघर्ष की गाथा समाहित है!
वाक् चातुर्य और वाक सौंदर्य का रूपक, तो देश की राजनीति में एक कविता हैं अटल बिहारी वाजपेयी उनकी कविताओं के पीछे एक अतीत है जब जनता पार्टी बनी और जब जनता पार्टी टूटी तब उन्होंने कविताएं लिखीं…
उनकी कविताएं उनके व्यक्तित्व का आईना हैं।
अटल जी जानते थे, जीवन के संघर्ष का सच और पड़ाव को मंजिल समझने की भूल का फर्क… तभी उनकी कविताओं में कहीं विद्रोह है, तो कहीं वेदना है, तो कहीं बैचेनी.. अटल जी कहते थे कि कविता उन्हें ‘घुट्टी’ में मिली थी!
पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी से विरासत में वाजपेयी को कविता और साहित्य मिले!!
सियासत को पचास साल देने के बाद भी वो एक ऐसा बेदाग चेहरा हैं जिसे आज भी पूरा देश प्यार करता है क्योंकि लोगों के दिलों में वाजपेयी की ‘अमर आग’ है।
‘बिखरे नीड़,
विहंसे चीड़,
आंसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूँ…
न मैं चुप हूँ न गाता हूं…
आज नेपथ्य में वो चेहरा है…
आज खामोश वो नायक है…
आज खामोश वो आवाज है…
आज ओझल वो अंदाज है…
आज शून्य में एक युग है…
लेकिन फिर भी वो अविरल है.. अटल है..
वो अटल हैं ..🙏
जयंती पर कोटिशः प्रणाम 💐
आनंद श्रीवास्तव
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