गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
अभी तक भूपिंदर हूडा के बेटे के रूप में पहचान बनाये दीपेंद्र हूडा को झुझारू नेता के रूप में पेश करने की त्यारी।
उनीस मार्च को बादली असेंबली हलके के कोंग्रेसी विद्यायक कुलदीप वत्स ,बादली में कार्यकर्त्ता सम्मलेन कर रहे है जिसके मुख्य अथिति दीपेंद्र हूडा होंगे। वत्स , प्रदेश भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनकड़ को हरा कर विद्यायक बने थे। इसके लिए जारी पोस्टर्स में सोनिया गाँधी,प्रियंका गाँधी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान की फोटो तो काफी छोटी दिखाई है। लेकिन राहुल गाँधी और भूपिंदर हूडा के बीच दीपेंदर हूडा को प्रमुखता से दिखाया है।
इससे पहले आज चंडीगढ़ में ग्रिफ्तारी दे यह साबित किया गया की दीपेंदर भविष्य में हरियाणा की कमान सम्हाल सकता है।
बादली सम्मेलन को कामयाब करने और उसकी प्रिंट और सोशल मीडिया में व्यापक कवरेज की लिए खास प्रबंध किया गए है। दीपेंद्र की लोकप्रिय नेता के रूप में इमेज बनाते हुए ऑडियो भी बनाये गए है। बिल्डर लॉबी भी एहशान चुकाने को त्यार है।
हर नेता की तरह भूपिंदर हूडा की भी यह इच्छा है की वो अपने लाल दीपेंद्र को नेता स्थापित कर दे और वो मुख्यम्नत्री बन जाये। वैसे इस उम्मीद में बीरेंद्र सिंह और राव इंद्रजीत तो बूढ़े भी हो गए है। शैलजा और रणदीप सुरजेवाला भी तैयार है।
भूपिंदर हूडा के मुख्यमंत्री रहते ही दीपेंद्र हूडा एक दम सीधे विदेश से आकर रोहतक से सांसद बन गए। वे वहा से बार -बार जीते लेकिन तब उनके पिता यानी भूपिंदर हूडा मुख्यमंत्री थे। दीपेंद्र की छवि एक शरीफ नेता की तो है लेकिन अभी तक जुझारू नेता की छवि नहीं बन पाई। हाँ उन्हें अपने पिता की राजनीतिक विरासत मिली है। हुड्डा ,दीपेंद्र को मुख्यमंत्री देखना चाहते है और यह आखिरी मौका है। कांग्रेस संगठन पर उनका पूरी तरह कब्ज़ा है इसलिए टिकट के इच्छुक नेता भी उनके इर्द -गिर्द मंडरा रहे है।
दीपेंद्र की छवि ‘भाईसाब कल्चर’ की है। उनके इर्द -गिर्द डेड- दो सो नौजवान रहते है जिन्होंने हूडा के दस वर्ष के शाशन में सत्ता का स्वाद छका। कोई प्रॉपर्टी के धंधे में मालामाल हुआ तो कोई शराब के धंधे में। कोई एच सीएस बन गया तो कोई अटॉर्नी बन गया। अब सभी को उम्मीद है की राज आने पर फिर उनकी पौ -बारह होगी।
वैसे हूडा के पास करण दलाल और रघुबीर कादियान जैसे नेता है लेकिन उन्होंने कभी भी मनोहर सरकार के कारनामो बारे विस्तृत आरोप पत्र नहीं बनाया।
जब शराब घोटाले में इनेलो विद्यायक ,अभय चौटाला , डिप्टी चीफ मिनिस्टर दुष्यतं चौटाला की बखिया उधेड़ रहे थे तब भूपिंदर हूडा शेरो -शायरी कर रहे थे। तीस विधायकों के नेता और पार्टी पर पुरे कब्जे के बावजूद भी हूडा अभी तक मनोहर सरकार के खिलाफ कोई जन आंदोलन नहीं चला सके।
रोहतक प्रेम ले डूबा।
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-पिछले सत्रह साल में दीपेंदर कोई झुझारू एवं शंघर्षशील नेता की की छाप नहीं छोड़ पाया। उसको ओल्ड रोहतक जिसमे झज्जर भी है का प्रेम ले डूबा।
उसने कभी हरियाणा का नेता बनने की कोशिश नहीं की। आज भी वह रोहतक से बाहर का नेता नहीं है। न ही उसमे हरियाणा के नेता बनने की सौच है। वो तो अब भी यही चाहता है की रोहतक से मेरा दाव लग जाये।

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