गुस्ताखी माफ़ हरियाणा: नहीं रहे प्रख्यात पत्रकार वेद प्रताप वैदिक

गुस्ताखी माफ़ हरियाणा।
पवन कुमार बंसल।
प्रख्यात पत्रकार वेद प्रताप वैदिक नहीं रहे – अंतिम समय तक अख़बार पढने और लेखन में व्यस्त रहे।
इस संसार में जो आया है उसे एक दिन अवश्य जाना है। लेकिन किसे हँसते -खेलते जिंदादिल इंसान का अचानक चले जाना विचलित करता है।
ऐसा ही कल वेद प्रताप वैदिक के साथ हुआ। सुबह हिंदी और अंग्रेजी के करीब एक दर्जन अख़बार खंगाल कर और अपना लेख लिख वे स्नान के लिए बाथरूम गए तो वही चक्कर आ गया।
चूकि मै उनके आवास के नजदीक ही रहता हूँ इसलिए अक्सर सुबह सैर करते हुए उनके निवास चला जाता था और देखता कि वे अख़बार पढने में व्यस्त होते।
अपना लेख कम्प्यूटर या लैपटॉप के बजाए हाथ से ही लिखते। इसी दौरान ही देश – विदेश से फ़ोन आने शुरू हो जाते थे। मेने उन्हें हरियाणा के बारे लिखी अपनी किताबे जिनका प्राक्थन प्रभाष जोशी ने लिखा था भेंट की तो मुझसे ज्यादा स्नेह करने लगे यह बताते हुए की उनकी जोशी जी से घनिष्ठ मित्रता थी।
उनके प्रकृति और पेड़ -पोधो से काफी लगाव था। उनका मकान पोधो से भरा था। ड्राइंग रूम अखबारों और किताबों से भरा रहता था। जब उनकी पत्नी का देहांत हुआ तब भी उन्होंने अपना लेख लिखा था। हंसमुख और शांत चेहरा। कुछ महीने पहले ही हमने उनके साथ अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘ऊंचाई ‘ गुरुग्राम के अम्बिएंस माल में देखी थी। अमिताभ ने उनकी फिल्म देखकर उसकी समीक्षा करने का आग्रह किया था।
अरब देशों में उनका आना -जाना लगा रहता था।
जब वैदिक ने वाजपेयी को कहा -खुश हो ,छडे को छड़ी मिल गयी है।
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पूर्व प्रधानमंत्रियों नरशिमराव और अटल बिहारी वाजपेयी से उनके घनिष्ठ सम्बन्ध थे। वैदिक जी , वाजपेयी जी का एक किस्सा सुनाते थे।
वाजपेयी का घुटनो का ऑपरेशन हुआ और डॉक्टरों ने उन्हें कुछ दिन के लिए छड़ी का सहारा लेकर चलने को कहा। बकौल वैदिक एक दिन जब उन्होंने वाजपेयी का हाल पूछने के लिए फ़ोन किया तो वाजपेयी बोले कि और तो ठीक है लेकिन डॉक्टरों ने मुझे छड़ी पकड़ा दी है। अब वैदिक ने कहा फिर तो आप को खुश होना चाहिए क्योंकि एक छडे (अविवाहित ) को छड़ी मिल गयी है। वैदिक के बात सुन वाजपेयी ठहाका मार कर हँसे ।

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