ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भारतीय नागरिक उड्डयन उद्योग के विकास के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22मार्च। केन्द्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने सीएपीए इंडिया के एविएशन समिट 2023 को संबोधित करते हुए भारतीय विमानन उद्योग के विकास के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि एक समय था जब हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या लगभग नगण्य होती थी और आज हम एक दिन में 4.56 लाख घरेलू यात्रियों के आंकड़े को पार कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ वित्त वर्ष 2024 में भारत में 140 मिलियन से अधिक यात्री होंगे। वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2020 तक के छह वर्षों में घरेलू यात्रियों की संख्या 14.5 प्रतिशत के सीएजीआर पर 120 मिलियन से दोगुने से अधिक बढ़कर लगभग 275 मिलियन हो गई है और अगर कोविड प्रकोप नहीं होता तो हम लगभग 18-20 प्रतिशत के सीएजीआर तक पहुंच गए होते।

इस क्षेत्र में वृद्धि के दायरे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि सीट क्षमता के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाजार है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सीट क्षमता के मामले में हम अभी भी 18वें स्थान पर हैं। इसलिए, बाजार में लंबे समय तक निरंतर वृद्धि की संभावना बहुत मजबूत दिखाई देती है। वित्त वर्ष 2030 में भारत की वास्तविक जीडीपी लगभग 252 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है और प्रति व्यक्ति जीडीपी एक निम्न मध्यम-आय वाले देश से बढ़कर एक उच्च-मध्यम-आय वाले देश में परिवर्तित हो जाएगी। भारत में शहरीकरण बढ़ रहा है और इसके 2020 में 34.9 प्रतिशत से बढ़कर 2030 में अनुमानित 40 प्रतिशत होने की उम्मीद है। मध्यम और उच्च आय वाले परिवारों की उपयोग करने योग्य आय राष्ट्रीय औसत से बहुत तेजी से बढ़ रही है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी होने जा रही है, जिसमें आमतौर पर यात्रा करने की अधिक इच्छा होती है।

आपूर्ति-पक्ष की चुनौतियों का समाधान करने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार क्षमता निर्माण, बाधाओं को दूर करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए अभूतपूर्व कदम उठा रही है ताकि देश में आवश्यक विमानन बुनियादी ढांचा तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि 2047 में जब देश अपनी स्वतंत्रता का 100 वर्ष मनाएगा, तो उसके पास एक ऐसी विमानन प्रणाली हो जो 20 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का समर्थन कर सके। इस दृष्टिकण के एक अंग के रूप में, सरकार ने पिछले 8.5 वर्षों में हवाईअड्डों की संख्या को 2014 में 74 से बढ़ाकर अब 148 कर दिया है। केंद्र सरकार इस क्षेत्र में व्यापार को आसान बनाने के लिए नियमों को सरल बना रही है। देश में पायलटों, केबिन क्रू, इंजीनियरों आदि की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नीतियों को उदार बनाया गया है। मात्र पिछले तीन वर्षों में, एटीसीओ स्टाफ की स्थिति में लगभग 33 प्रतिशत का सुधार हुआ है और 2019 में 2702 पदों की तुलना में आज 3692 से अधिक पदों पर नियुक्ति की गई है। इसके अलावा, हम आशा कर रहे हैं कि इस वर्ष एटीसी में और 396 कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी।

इसके अलावा, लंबे समय तक पायलट प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए, सरकार ने एफटीओ नीति को उदार बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप हम देश में एफटीओ का प्रसार देख रहे हैं। एयरपोर्ट रॉयल्टी (एफटीओ द्वारा एएआई को राजस्व शेयर भुगतान) की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है और भूमि के किराये को युक्तिसंगत बनाया गया है। वर्तमान में हमारे पास 35 एफटीओ हैं। 5 हवाईअड्डों पर 9 अन्य एफटीओ आ रहे हैं। एएआई द्वारा 5 हवाई अड्डों पर 6 एफटीओ स्लॉट दिए गए हैं जो दिसंबर 2023 तक ( इस संख्या को 50 तक ले जाते हुए) कार्यान्वित हो जाएंगे।

एयरोस्पेस विनिर्माण और एमआरओ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मेक इन इंडिया अभियान के हिस्से के रूप में, सरकार यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि भारत विमानन उद्योग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न अंग बने। उन्होंने कहा कि एयरबस-टाटा संयुक्त उद्यम द्वारा सी-295 परिवहन विमान के लिए निजी निर्माण का शुभारंभ करना आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक प्रमुख पहल है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में भारतीय वाहकों द्वारा लगभग 1500 से 1700 विमानों का ऑर्डर देने की आशा के साथ, हमें भारत को एक एयरोस्पेस विनिर्माण आधार बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। श्री सिंधिया ने कहा कि साथ ही, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि हम विमानों के लिए एमआरओ हेतु एक इकोसिस्टम विकसित करें। उन्होंने कहा कि एमआरओ सेवाओं पर जीएसटी दरों को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है और इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है। सरकार ने एमआरओ दिशानिर्देशों को भी उदार बनाया। उन्होंने कहा कि जीएसटी को घटाकर 25 प्रतिशत (आज डीजीसीए द्वारा अनुमोदित 113 से 140 एमआरओ) करने से एमआरओ में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि एमआरओ उद्योग से व्यापक दृष्टिकोण रखने, वैश्विक रूप से विचार करने और वैश्विक कार्य करने का आग्रह किया क्योंकि इस क्षेत्र का कारोबार 2 बिलियन अमरीकी डालर के करीब है। उन्होंने कहा कि लेकिन हमारी कार्य सीमा आज बाजार के 15 से 20 प्रतिशत तक सीमित है, जिसे हमें सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इसका पूरी तरह से दोहन किया जा सके।

देश में ड्रोन उद्योग के विकास पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि ड्रोन बाजार का आकार 2020 में 2900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 80 प्रतिशत सीएजीआर पर लगभग 77,300 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है और इसके आगे 2030 तक 2,95,000 करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है। रोजगार क्षमता के मामले में, यह विनिर्माण और ड्रोन फ्लाइंग दोनों में 3 लाख लोगों को रोजगार देने के करीब है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ड्रोन क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें नए ड्रोन नियम 2021 की अधिसूचना शामिल है, जिसके तहत कई लाइसेंस, फीस और फॉर्म को समाप्त कर दिया गया है। ड्रोन एयरस्पेस मैप 24 सितंबर 2021 को प्रकाशित किया गया था – भारत का 90 प्रतिशत हिस्सा अब एक ग्रीन ज़ोन है जहाँ ड्रोन संचालित करने के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि ड्रोन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना कार्यान्वित है। इसके परिणामस्वरूप, हम देश भर में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से ड्रोन को अपनाते हुए ड्रोन निर्माण में वृद्धि के साक्षी बन रहे हैं।

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